भारत में राष्ट्रवाद प्रश्न और उत्तर Class 10

Bharat mein Rashtravad Questions and Answers Class 10

प्र०१. व्याख्या करें –
क. उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?

उत्तर– उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से निम्नलिखित कारणों से जुड़ी हुई थी:–

१. वियतनाम तथा अन्य उपनिवेशों की तरह भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की घटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ जुड़ी हुई थी।

२. औपनिवेशक शासकों द्वारा उत्पीड़न और दमन के कारण विभिन्न समूह एक– दूसरे के समीप आ गए थे और आपसी एकता का महत्व समझने लगे।

३. एक – दूसरे के प्रति उत्तरदायित्व था।

४. विभिन्न वर्गों और समूहों– जिनके लिए स्वतंत्रता का अलग-अलग अर्थ था – को महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इकट्ठा करके एक विशाल आंदोलन कर दिया।

ख. पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया।

उत्तर– पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में निम्नलिखित प्रकार से योगदान दिया:–

१. प्रथम विश्व युद्ध के कारण एक नई धार्मिक और राजनीतिक स्थिति पैदा होने से रक्षा व्यय में काफी वृद्धि हो गई।

२. युद्ध में होने वाले खर्च को पूरा करने के लिए कर्ज लिए गए, करों में वृद्धि की गई, सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया और आय पर कर लगा दिया गया।

३. युद्ध के समय कीमतें तेजी से बढ़ रही थी। 1913 से 1918 के बीच कि कीमतें दोगुनी हो गई जिसके कारण साधारण जनता की कठिनाइयां बढ़ गई।

४. गांव में युवकों को जबरदस्ती सेना में भर्ती किया गया, जिसके कारण ग्रामीणों में व्यापक गुस्सा था।

५. 1918 – 1919 और 1920 – 1921 में देश के अनेक भागों में फसल खराब हो जाने से खाद पदार्थों की कमी हो गई। जिसके कारण भूख से भी लोग मरने लगे।

६. उसी समय फ्लू की महामारी भी फैल गई। 1921 की जनगणना के अनुसार अकाल और बीमारी के कारण लगभग 120 – 130 लाख लोग मारे गए।

ग. भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे?

उत्तर– भारत के लोगों का रॉलट एक्ट के विरोध में रहने का निम्नलिखित कारण था:–

१. गांधी जी ने 1919 में रॉलट एक्ट ( 1919) के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन चलाया।

२. भारतीय सदस्यों द्वारा विरोध होने पर भी रॉलट एक्ट को इंपीरियल लेजिसलेटिव काउंसिल ने बहुत जल्दबाजी में पास कर दिया था। जिसके द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को 2 साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था।

३. महात्मा गांधी ऐसे अन्याय पूर्ण कानूनों के विरुद्ध अहिंसक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे। इसलिए लोगों ने रॉलट एक्ट का विरोध किया।

घ. गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?

उत्तर– 1922 ई. में गोरखपुर में स्थित चोरी – चोरा में बाजार से गुजर रहा एक शांतिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया। इस घटना का समाचार मिलते ही गांधी जी ने असहयोग आंदोलन रोकने का आह्वान किया। क्योंकि महात्मा गांधी जी ऐसे अन्याय पूर्ण कानूनों के विरुद्ध अहिंसक रूप से नागरिक की अवज्ञा चाहते थे।

प्र०२. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?

उत्तर–१. सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता था। इसका अर्थ यह था, कि यदि आप का उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के विरुद्ध है तो उत्पीड़क का मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल्कि आवश्यकता नहीं है।

२. सत्याग्रह के विचार में प्रतिशोध या बदले की भावना लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के बल पर ही अपने संघर्ष में सफल हो सकता है।

३. उत्पीड़क शत्रु को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा की अपेक्षा सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने के स्थान पर, सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

४. इस संघर्ष में अंत में जीत सत्य की ही होती है। गांधी जी का विश्वास था कि अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बांध सकता है। क्योंकि जब सच्चाई के साथ लड़ाई लड़ी जाती है तो अंत में जीत सच्चाई की ही होती है। इसलिए गांधी जी का भी यही विश्वास था कि अंत में जीत सत्य की ही होगी।

प्र०३. निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें–

क. जलियांवाला बाग हत्याकांड

उत्तर– 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ। यह जलियांवाला बाग हत्याकांड अमृतसर में हुआ था। यह हादसा बहुत ही खतरनाक और दर्दनाक था। उस दिन बहुत सारे ग्रामीण अमृतसर में वैशाखी के मेले में शामिल होने के लिए बाग के मैदान में इकट्ठे हुए थे। यह मैदान चारों तरफ से बंद था।

बाग शहर से बाहर होने के कारण लोगों को यह पता नहीं था, कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। जनरल डायर हथियारबंद सैनिकों के साथ वहां पहुंचा और बाग के मुख्य द्वार के रास्ते निहत्थी भीड़ पर गोलियां चलवा दी। सैकड़ों लोग मारे गए। बाद में डायर ने बताया कि वह सत्याग्राहियों के मन में दहशत फैलाना चाहता था।

ख. साइमन कमीशन

उत्तर– यह लंदन में 1928 में हुआ था। ब्रिटेन की नई रोटी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन किया जिसका उद्देश्य भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना था और उसके बारे में सुझाव देना था। इस आयोग के सभी सदस्य अंग्रेज थे।

1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत ‘साइमन कमीशन वापस जाओ ’ के नारों से किया गया। कॉन्ग्रेस, मुस्लिम लीग और अन्य सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में भाग लिया।

प्र०४. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मनिया की छवि की तुलना कीजिए।

उत्तर– भारत माता की छवि जर्मनिया की छवि की तुलना अलग-अलग है:–

१. भारत माता की छवि भारतीय राष्ट्रीयता का प्रतीक थी जबकि जर्मनिया जर्मन राष्ट्रीयता का प्रतीक थी।

२. भारत माता की छवि पर संप्रदायिकता का आरोप लगा जबकि जर्मनिया की छवि के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

३. भारत माता को एक हिंदू देवी के रूप में चित्रित किया गया है। उसके हाथ में त्रिशूल है। जिस पर राष्ट्रीय ध्वज लगा है। वह हाथी और शेर के बीच खड़ी है। दोनों ही सत्ता और शक्ति के प्रतीक हैं। जबकि जर्मनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है, क्योंकि बलूत वीरता का प्रतीक है। जर्मनिया के चित्र को सूती झंडे पर बनाया गया था। दोनों तस्वीरों में महिला को पारंपरिक परिधानों से सजाया गया है।

प्र०५. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूह की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्ही तीन को चूनकर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए।

अ. 1921 ई. में असहयोग में शामिल होने वाले विभिन्न सामाजिक समूहों की सूची निम्नलिखित है:

उत्तर– १. मध्यवर्गीय लोग जैसे शिक्षक, वकील, विधार्थी आदि।

२. व्यापारी वर्ग।

३. मद्रास की ‘ जसीट्स पार्टी ’ छोड़कर अन्य सभी राजनीतिक दल।

४. अवध के किसान।

५. सीताराम राजू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश के किसान।

६. बागान के श्रमिक।

ब. ऊपर लिखित तीन समूह ने निम्नलिखित कारणों से असहयोग आंदोलन में भाग लिया–

क. आंध्र प्रदेश के आदिवासी:–

१. प्रदेश की शुडेम पहाड़ियों में 1920 के दशक के आरंभ में एक उग्र गुरिल्ला आंदोलन फैल गया।

२. यहां अंग्रेजी सरकार ने बड़े जंगलों में लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी।

३. लोग इन जंगलों में न तो पशुओं को चरा सकते थे,न ही ईंधन और बीज आदि प्राप्त कर सकते थे। इससे न केवल उनकी रोजी– रोटी पर असर पड़ रहा था, बल्कि वे यह भी अनुभव कर रहे थे कि उनके परंपरागत अधिकार छीने जा रहे हैं। इस कारण से पहाड़ी लोगों में गुस्सा था।

४. जब लोगों को सड़क बनाने के लिए बेगार करने के लिए विवश किया गया तो उन्होंने विद्रोह कर दिया।

५. विद्रोहियों का नेतृत्व करने वाले अल्लूरी सीताराम राजू में लोगों का विश्वास था तथा लोग उसे ईश्वर का अवतार मानते थे।

६. राजू महात्मा गांधी का गुणगान करता था। उसने लोगों को खादी पहनने और शराब न पीने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना था कि भारत अहिंसा के बल पर नहीं बल्कि हिंसा के प्रयोग से ही आजाद हो सकता है।

७. गुडेम विद्रोहियों ने पुलिस पर हमले किए और अंग्रेज अधिकारियों को मारने की कोशिश की तथा स्वतंत्रता– प्राप्ति के लिए गुरिल्ला युद्ध करते रहे।

८. 1924 ई. में राजू को फांसी दे दी गई लेकिन उस समय तक वे लोकनायक बन चुके थे।

ख. बागान के श्रमिक:–

१. श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता का अर्थ था कि वे अपने गावों के संपर्क में रहेंगे।

२. असम के बागान श्रमिकों के लिए आजादी का अर्थ था कि वे उन चारदिवारियो से जब चाहे आ –जा सकते हैं जिनमें उन्हें बंदी बनाकर रखा गया था।

३. 1859 के इंग्लैंड इमीग्रेशन एक्ट के अनुसार बागानों में काम करने वाले श्रमिकों को बिना अनुमति बागान से बाहर जाने की छूट नहीं थी।

४. असहयोग आंदोलन के कारण हजारों मजदूर अपने अधिकारियों की अवहेलना करने लगे। उन्होंने बागान छोड़ दिए और घर चले गए।

५. उन्हें अब यह आशा हो गई थी कि गांधी राज आने पर प्रत्येक को गांव में जमीन मिल जाएगी।

६. रेलवे और स्टीमरो की हड़ताल के कारण वे रास्ते में ही फंस गए। उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया और बुरी तरह पिटाई की।

ग. अवध के किसान:–

१. अवध के सन्यासी बाबा रामचंद्र जो पहले फिजी में गिरमिटिया मजदूर के रुप में काम कर चुके थे, किसानों का नेतृत्व कर रहे थे।

२. उनका यह आंदोलन उन तालुकदारों और जमींदारों के विरुद्ध था जो किसानों से बहुत अधिक लगान और अनेक प्रकार के कर ले रहे थे तथा उनसे बेगार भी करवाते थे।

३. पट्टेदारों के पट्टे निश्चित नहीं थे बल्कि उन्हें बार-बार पट्टे से हटा दिया जाता था ताकि उनका अधिकार न हो सके।

४. किसान चाहते थे कि लगान कम किया जाए, बेगार खत्म की जाए और दमनकारी जमींदारों का बहिष्कार किया जाए।

५. अनेक स्थानों पर जमींदारों को नाई– धोबी से वंचित रखने के लिए भी निर्णय लिए गए।

६. जून, 1920 में जवाहर लाल नेहरू ने अवध के गांव में जाकर वहां के किसानों की व्यथा सुनी। अक्टूबर तक अनेक नेताओं के नेतृत्व में अवध किसान सभा का गठन हो गया और एक ही महीने में 300 से भी अधिक शाखाएं बन गई।

७. 1921 के असहयोग आंदोलन में कांग्रेस के अवध के किसान संघर्ष को इस आंदोलन में शामिल करने का प्रयास किया।

प्र०६. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतिक था।

उत्तर– नमक यात्रा की चर्चा इस प्रकार है:–

देश को संगठित करने के लिए गांधी जी ने नमक कानून तोड़कर शक्ति का परिचय दिया तथा 31 जनवरी, 1930 को वायसराय इरविन को पत्र लिखकर अपनी 11 मांगों का उल्लेख किया। गांधीजी अपनी मांगों के द्वारा समाज के सभी वर्गों को अपने आंदोलन में शामिल करना चाहते थे। गांधी जी की सबसे महत्वपूर्ण मांग नमक कर को खत्म करने की थी, क्योंकि नमक का प्रयोग अमीर– गरीब सभी करते थे।

गांधी जी का इरविन को लिखा गया पत्र एक चेतावनी की तरह था, क्योंकि उसमें लिखा गया था कि यदि उनकी मांगों को 11 मार्च तक पूरा नहीं किया गया तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ कर देगी।

गांधी जी ने नमक कानून को तोड़ने के लिए अपने 78 वालंटियरो के साथ 240 किलोमीटर की पैदल यात्रा 24 दिन में पूरी की।

गांधीजी अपने आश्रम से दांडी तक की पैदल यात्रा में जहां भी रुकते, हजारों लोग उनके भाषण सुनते। उन्होंने स्वराज का अर्थ स्पष्ट किया तथा लोगों को कहा कि अंग्रेजों का कहना न मानें। सफल नमक यात्रा वास्तव में सत्याग्रह और अहिंसा की जीत थी।

प्र०७. कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफरमानी (सविनय अवज्ञा) आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला है। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता?

उत्तर– इस अनुभव का मेरे जीवन में बहुत सारे अर्थ होते। जैसे:–

१. पर्दे के पीछे रहने वाली भारतीय महिलाओं के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लेना वास्तव में गर्व की बात थी।

२. गांधी जी ने महिलाओं की आंतरिक शक्ति को पहचाना और उन्हें राष्ट्रवादी आंदोलन में भाग लेने का मौका दिया।

३. इससे महिलाओं को समाज में पुरुषों के बराबर सम्मान मिलेगा उनका जीवन स्तर ऊंचा होगा।

४. राष्ट्रवादी आंदोलन में महिलाओं के भाग लेने का अर्थ गृहकार्यों से छुटकारा नहीं है, क्योंकि गांधीजी भी मानते हैं कि घर की जिम्मेदारी मुख्यत: महिलाओं की है।

सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लेकर मैं राष्ट्र निर्माण में भागीदारी कर सकूंगी। इसमें हिस्सा लेना मेरे लिए किसी प्रोत्साहन से कम नहीं होगा। मेरी जो जिम्मेदारी होगी मैं उसे पूरी अच्छी तरह से निभाऊंगी।

प्र०८. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बंटे हुए थे?

उत्तर– विभिन्न भारतीय राजनीतिक नेता समाज के अलग-अलग वर्गों का नेतृत्व कर रहे थे। डॉ. बी. आर. अंबेडकर दलितों के नेता थे जबकि जिन्ना मुसलमानों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। सभी नेता अपने संप्रदाय– विशेष के जीवन स्तर में सुधार के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र और राजनीतिक अधिकार चाहते थे।

अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी इस तरह की मांगों के विरुद्ध थी क्योंकि इससे राष्ट्रीय एकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता था।

इसलिए इस मांग के विरोध में गांधी जी एक बार आमरण अनशन पर भी बैठे थे। इस प्रकार ऊपर लिखित कारणों से ही राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचित के सवाल पर बंटे हुए थे।

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