भूमंडलीकृत विश्व का बनना प्रश्न और उत्तर कक्षा 10

Bhumandlikrit Vishva ka Banana Questions and Answers Class 10

प्र०१. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुने।

उत्तर– . सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के उदाहरण एशिया से और अमेरिका के बारे में निम्न है:–

१. एशिया का उदाहरण:– एशिया से यूरोप के देशों और उत्तरी अफ्रीका में सिल्क का व्यापार होता था।

२. अमेरिका का उदाहरण:– आलू, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, टमाटर मिर्च आधी अमेरिका में पैदा होते थे जिन्हें आज सारे विश्व में खाया जाता है। यह सभी चीजें अमेरिका में उत्पन्न होती थी। इन सभी चीजों को आज पूरे विश्व में खाने का साधन बन गया है।

प्र०२. बताएं कि पूर्व– आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी।

उत्तर– लाखों वर्षों तक दुनिया से अलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में चेचक से बचाव की रोग– प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी, जो वहां तक फैली। जब यूरोपीय शक्तियों ने वहां अपने उपनिवेश बनाने शुरू किए। इस कारण से यूरोपीय शक्तियों को अमेरिका के लोगों के विरुद्ध सैन्य अस्त्रों का प्रयोग नहीं करना पड़ा।

चेचक एक घातक बीमारी थी जिसने अभी अमेरिकी समुदायों को समाप्त कर दिया। इस प्रकार घुसपैठियों की जीत का रास्ता साफ होता चला गया। एक बार जब यह बीमारी फैल गई तो धीरे-धीरे यह पूरे विश्व में फैल गई थी। इस प्रकार पूर्व– आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में मदद की।

प्र०३. निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियां लिखे:–

क. कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला।

उत्तर– कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला यह था:–

१.कॉर्न लॉ के समाप्त हो जाने पर खाद पदार्थों का आयात बहुत कम कीमत पर किया जाने लगा।

२. आया किए गए खाद पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद पदार्थों से भी कम थी।

३. आयातित माल की कीमत का मुकाबला न कर सकने के कारण ब्रिटिश किसानों की हालत खराब हो गई।

४. विशाल भू – भागों पर खेती बंद हो गई। हजारों लोग बेरोजगार हो जाने के कारण या तो शहरों में या दूसरे देशों में जाने लगे।

ख. अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना।

उत्तर– अफ्रीका में रिंडरपेस्ट के आने से लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था में भयामह प्रभाव पड़ा।

१. अफ्रीका में पशुओं की बीमारी ‘ रिंडरपेस्ट ’ का सबसे पहले 1880 के दशक के बाद के वर्षों में पता चला, जब पूर्वी अफ्रीका में एरिट्रीया पर हमला कर रहे इटली के सैनिकों का पेट भरने के लिए एशियाई देशों से पशु लाए जाते थे। यह बीमारी ब्रिटिश अधिपत्य वाले एशियाई देशों से आने वाले पशुओं के द्वारा यहां आई थी।

क्योंकि लोग एक स्थान से दूसरे स्थान जाते हैं तो लोग अपनी यात्राओं में तरह-तरह की चीजें, पैसा, मूल्य– मान्यताएं, विचार, हुनर, आविष्कार और यहां तक की कीटाणु और बीमारियां भी साथ लेकर चलते रहे हैं।

२. यह बीमारी पूर्वी अफ्रीका से पश्चिमी अफ्रीका की तरह जंगल की आग की तरह बढ़ने लगी और 1892 में अटलांटिक तक जा पहुंची। 5 साल बाद यह केपटाउन तक भी पहुंच गई।

३. रिंडरपेस्ट नामक इस बीमारी ने अपनी चपेट में आने वाले 90% पशुओं को मार दिया।

४. पशुओं के मर जाने पर अफ्रीकियों की रोजी– रोटी के साधन समाप्त हो गए।

५. बागान मालिकों, खान मालिकों तथा औपनिवेशिक सरकारों ने अपनी सत्ता को और शक्तिशाली बनाने तथा अफ्रीकियों को श्रम बाजार से धकेलने के लिए बचे– खुचे पशुओं को भी अपने अधिकार में ले लिया।

६. बचे हुए पशु संसाधनों पर अपना अधिकार हो जाने से यूरोपिय उपनिवेशकारों को पूरे अफ्रीका पर अपना अधिकार कर लेने का मौका मिल गया।

अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना बहुत ही खतरनाक था।

ग. विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत।

उत्तर– विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत का कारण था:–

१. प्रथम विश्वयुद्ध में यूरोप के मृतकों और घायलों में अधिकतर कामकाजी उम्र के लोग थे।

२. इस युद्ध में होने वाले विनाश के कारण यूरोप में काम करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम हो गई।

३. परिवार के सदस्य कम हो जाने पर परिवारों की आय भी कम हो गई।

४. इस कारण अब औरतों को ही घर से बाहर निकलना पड़ता था। अपना और अपने बच्चों का पेट भरने के लिए उन्हें घर से बाहर निकलना पड़ता था।

घ. भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव।

उत्तर– भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव निम्नलिखित रुप से पड़ा:–

१. 1928– 1934 के देश का आयात – निर्यात घटकर आधा रह गया। इतनी ज्यादा गिरावट आई थी कि देश का आयात– निर्यात घटकर आधा हो गया।

२. भारत में गेहूं की कीमत 50% और पटसन की कीमत 60% से भी अधिक घट गई।

३. किसान जो पहले से ही थोड़ा-बहुत कर्ज में रहते थे, अब वह और भी कर्ज में डूब गए।

४. भारतीय ग्रामीणों में जब असंतोष फैल रहा था तो उसी समय गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ कर दिया।

५. इसके बावजूद भी निश्चित आय वाले शहरी लोगों की हालत ठीक रही। उन्हें किसी भी चीज का नुकसान नहीं हुआ। सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करने के बावजूद भी शहरी लोगों की हालत ठीक रही।

ड. बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला।

उत्तर– बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला पर भारी प्रभाव पड़ा:–

१. बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपना उत्पादन एशिया के देशों में भेजने से वैश्विक व्यापार और पूंजी प्रवाह पर बहुत प्रभाव पड़ा। कम लागत और कम वेतन पर श्रमिकों के मिल जाने पर ये कंपनियां एशियाई देशों की तरफ आने के लिए विवश हो गई।

२. वैश्वीकरण तथा भारत और चीन जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाओं में आए अधिक परिवर्तन के कारण दुनिया का आर्थिक भूगोल ही बदल गया।

प्र०४. खाद्य उपलब्धता तक तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।

उत्तर– खाद्य उपलब्धता तक तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण इस प्रकार हैं:–

१. रेलवे और जलपोतों के निर्माण से सामान का दूसरे देशों के बाजारों में पहुंचाना आसान हो गया और लागत भी घट गई।

२. जलपोतों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक आ जाने के कारण मांस – मछली, सब्जी, फल आदि जल्दी खराब हो जाने वाली वस्तुओं को लंबी दूरी तक ले जाना संभव हो गया। इससे इन वस्तुओं की कीमत भी कम हो गई।

तेज चलने वाली रेलगाड़ियां बनाई गई।

प्र०५. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है।

उत्तर– ब्रेटन वुड्स समझौते का अर्थ है:–

१. युद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता और रोजगार बनाए रखना था।

२. इस उद्देश्य प्राप्ति पर जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति हो गई थी।

३. सदस्य देशों के विदेशी व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( आई. एम. एफ. ) की स्थापना की गई।

४. युद्ध के बाद पुननिर्माण के लिए पैसे की व्यवस्था करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुननिर्माण एवं विकास बैंक (विश्व बैंक ) का गठन किया गया। इसी कारण से विश्व बैंक और आई. एम. एफ. को ब्रेटन वुड्स संस्थान (ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतान) भी कहा जाता है। इसी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को प्राय: ब्रेटन वुड्स व्यवस्था भी कहा जाता है।

प्र०६. कल्पना कीजिए कि आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखें।

उत्तर– अभिषेक

6 अगस्त 2021

सम्मानित परिवार,

मैं यहां कुशलपूर्वक हूं और मुझे आशा है कि आप सभी ठीक हैं। मैं आपकी कुशलता के लिए ईश्वर से मंगल कामना करता हूं। यहां एक अनुबंधित श्रमिक के रूप में इसलिए आया था ताकि मैं अपने घर की आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकूं और आप लोगों की बुढ़ापे में अच्छी प्रकार सेवा कर सकूं। परंतु यहां आने से पता चला कि यहां का जीवन कुछ और ही है।

यहां भोजन, स्वास्थ्य और सोने के लिए मकान आदि का कोई प्रबंध नहीं है। हमें अपनी क्षमता से अधिक काम करना पड़ता है। वेतन भी बहुत कम मिलता है। यदि किसी दिन कोई गलती हो जाती है तो जुर्माना देना पड़ता है। कभी-कभी सजा भी सहन करनी पड़ती है, यहां तक की कई बार कोड़े भी पड़ जाते हैं। हमारा जीवन कष्टमय और नारकीय है।

अनुबंध समाप्त होते ही मैं घर वापस आना चाहता हूं। आप अपना, माता जी का तथा बच्चों का ख्याल रखना। शेष घर आने पर।

आपका बेटा

मोहन।

प्र०७. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक– एक उदाहरण दे और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।

उत्तर– अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या इस प्रकार है:–

१. पूंजी

२. व्यापार

३. श्रम।

१. पूंजी– पूंजी के प्रवाह से पूंजीपति खानों, उद्योगों और बागानों में निवेश करते थे। कुछ प्रमुख भारतीय पूंजीपतियों ने न केवल भारत में बल्कि अफ्रीका और कई यूरोपीय देशों में भी पूंजी का निवेश किया था।

२. व्यापार– वाणिज्य, व्यापार, आयात और निर्यात के कारण देश की अर्थव्यवस्था में तो सुधार था ही, साथ में रोजगार के अवसर भी पैदा होते थे। ब्रिटेन में कपड़ा उद्योग कच्चे माल के लिए भारतीय कपास के निर्माता पर निर्भर था।

३. श्रम– प्राचीन काल से ही श्रमिक एक स्थान से दूसरे स्थान पर आते– जाते रहते हैं। अमेरिका एवं अफ्रीका में उपनिवेश बनने के बाद भारतीय मजदूरों को अनुबंध व्यवस्था के आधार पर वहां के खेत और उद्योगों में काम करने के लिए भेजा जाता था।

प्र०८. महामंदी के कारणों की व्याख्या करें।

उत्तर– युद्ध के बाद विश्व अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर थी। 1929 में महामंदी के कई कारण थे:

१. पहला कारण– कृषि क्षेत्र में उत्पादन की समस्या गंभीर बनी हुई थी। उत्पादों की गिरती कीमतों के कारण स्थिति और भी बिगड़ गई थी। किसानों की आय कम होने लगी। अपनी आय बढ़ाने के लिए किसान उत्पादन बढ़ाने की कोशिश करने लगे ताकि कम कीमत मिलने पर भी वे अपना आय स्तर बनाए रखें। परिणामस्वरूप कृषि उत्पाद बाजार में और अधिक आने लगे जिसके कारण कीमतें और घट गई। फलस्वरूप उत्पाद पड़े – पड़े सड़ने लगे।

२. दूसरा कारण – 1920 के दशक के मध्य में अनेक देशों ने अमेरिका से कर्ज लेकर अपनी निवेश संबंधी जरूरतों को पूरा किया था। हालात अच्छे होने पर अमेरिका से कर्ज जुटाना आसान था। परंतु संकट का संदेश मिलते ही अमेरिकी उद्यमियों के होश उड़ गए। 1928 के मध्य तक विदेशों में अमेरिका का कर्जा एक अरब डॉलर था, जो 1 साल में ही घटकर केवल चौथाई रह गया था। वे देश जो अमेरिकी कर्ज पर सबसे अधिक निर्भर थे, उनके सामने गहरा संकट आ खड़ा हुआ।

प्र०९. जी– 77 देशों से आप क्या समझते हैं। जी– 77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है। व्याख्या करें।

उत्तर– जी– 77 देश विकासशील देशों का एक समूह है, जिसने एक नए अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के लिए आवाज उठाई थी।

१. द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर दुनिया का एक बहुत बड़ा भाग यूरोपीय शक्तियों के अधीन था। अगले दो दशकों में एशिया और अफ्रीका के अधिकतर उपनिवेश स्वतंत्र राष्ट्र बन चुके थे।

२. ये सभी देश गरीबी और संसाधनों की कमी से जूझ रहे थे। उनकी अर्थव्यवस्था और लंबे समय तक औपनिवेशिक शासन के कारण अस्त– व्यस्त हो चुके थे।

३. आई. एम. एफ. और विश्व बैंक का गठन केवल औद्योगिक देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था। भूतपूर्व उपनिवेशों में गरीबी की समस्या और विकास की कमी से निपटने में दक्ष नहीं थे, अर्थात स्वतंत्र नहीं थे।

४. जिस प्रकार यूरोप और जापान अर्थव्यवस्थाओं के पूर्णगठन के लिए आईएमएफ और विश्व बैंक पर निर्भर नहीं थे, उसी प्रकार 1950 के दशक के आखिरी वर्षों में ब्रेटन वुड्स संस्थान विकासशील देशों पर भी और अधिक ध्यान देने लगी।

५. संसार के अल्पविकसित भाग पश्चिमी साम्राज्यों के उपनिवेश थे जिन्हें स्वाधीन राष्ट्र के रूप में भी गरीबी और पिछड़ेपन से छुटकारा पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से सहायता लेनी पड़ी। जिन पर भूतपूर्व औपनिवेशिक शक्तियों का ही प्रभाव था।

६. अधिकतर विकासशील देशों को पचास और साठ के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्था की तेज प्रगति से कोई लाभ नहीं हुआ। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली (NIEO) के लिए आवाज उठाई और समूह– 77 (जी– 77) के रूप में संगठित हो गए।

इस सरकार से जी– 77 को ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है।

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