छाया मत छूना प्रश्न और उत्तर Class 10

Chhaya mat chhuna Questions and Answers Class 10

प्रश्न 1. कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

उत्तर: कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कहीं है क्योंकि हर किसी को अपने जीवन में एक कठोर सत्य को सुनना और अपनाना पड़ता है। यहां कवि ये स्वीकार करने को कहते है कि, आज के समय के विषम परिस्थितियों से बचकर कहीं नहीं भागा जा सकता।

प्रश्न 2. भाव स्पष्ट कीजिए–
प्रभुता का शरण–बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में एक रात कृष्णा है।

उत्तर: इस पंक्तियों में कवि गिरिजाकुमार माथुर जी के कहने का मतलब यह है कि मनुष्य अपने सुख–समृद्धि मान–सम्मान और धन–दौलत आदि के सुख को पूरा करने में लगा है, सुख केवल कुछ समय के लिए है, वैसे ही जैसे एक रेगिस्तान में एक प्यासे को पानी की आस में सूर्य की रेट में पड़ी चमक को पानी मान लेता है लेकिन उसके पास पहुंचने पर उसे धोखा ही होता है। इसलिए कभी कहते हैं वास्तविकता को प्रसन्नता से स्वीकार करो और अपने अतीत के सुख को याद करके भ्रम में मत पढ़ो अन्यथा दुख और अधिक बढ़ जाएगा।

प्रश्न 3. ‘छाया’ शब्द यहां किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है?

उत्तर: यहां छाया सुख से भरे अतीत की यादों के प्रतिक के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
यहां कवि ने छाया को छूने के लिए मना इसलिए किया है क्योंकि बीते समय के सुख–समृद्धि क्षणों को याद करने पर वर्तमान के दुःख और भी बढ़ जाते हैं।

प्रश्न 4. कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ। कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छांट कर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशेष्टता पैदा हुई है?

उत्तर: १. एक रात कृष्णा– यहां एक रात (कृष्णा)- यह शब्द रात की काली प्रतिमा यानी अंधकार को दर्शाता है।
२. सुरंग सुधिया– (सुहावनी) – यहां यादो को रंग बिरंगी और मन को मोह देने वाले रूप में प्रस्तुत किया गया है।

३. शरद-रात – वो राते, जो सर्दी से भरी होती है।

४. दुधिया-हत– (साहस)- साहस टूटता दिखाई देना।

प्रश्न 5. मृगतृष्णा किसे कहते हैं? कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?

उत्तर: जब जेष्ठ के महीने में रेगिस्तान में कड़कती धूप की तिरछी किरणें रेगिस्तान की रेत या कहीं दूर सड़कों पर पड़ती है, तब वहां पानी के होने का एहसास होता है लेकिन पास आने पर पता चलता है कि वहां कुछ नहीं है, इस छल कि स्थिति को मृगतृष्णा कहते हैं। यह शब्द कीर्ति–प्राप्त , सुख–समृद्धि , धन–दौलत और इज्जत–सम्मान आदि के अर्थ के लिए हुआ है।

प्रश्न 6. ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधिले’ यह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है?

उत्तर: ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधिले’ यह भाव कविता के निम्नलिखित पंक्ति मे झलकता है:-
‘ क्या हुआ जो खिला फूल रस–बसंत जाने पर?
जो ना मिला भूल उसे कर तू भविष्य वर्ण’

प्रश्न7. कविता में व्यक्त दुख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: “छाया मत छूना” कविता में कवि ने मनुष्य की हरदम कुछ ना कुछ पाने की इच्छा को ही दुख का मूल कारण माना है। मनुष्य मन में उत्पन्न कामनाओं-लालसाओं की पूर्ति के लिए हरदम कड़ी मेहनत रहता है और जब उसे उनसे तृप्ति नहीं मिलती तो दुख को छोड़ के उसे कुछ भी प्राप्त नहीं होता। जैसे ठीक समय पर जो कार्य पहले सोच रखा हो उसके वैसे ना होने पर भी दुख होता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न8. “जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी”, से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौन-कौन सी स्मृतियाँ संजो रखी हैं?

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
उदाहरण के लिए: मेरी जीवन की सबसे सुंदर याद वह है जब मुझे अपनी पहली पुस्तक मिली थी। वह पुस्तक बहुत ही सुंदर और रंग-बिरंगे चित्रों से भरी हुई थी। मैंने उसे अभी भी बहुत ही संभाल के रखा हुआ है क्योंकि वह मेरी पहली गुरु है। जिससे मैंने शब्द पढ़ना सीखा।

प्रश्न9. ‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?’ कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं? तर्क सहित लिखिए।

उत्तर: इस पंक्ति में कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। लेकिन हमारे मत के अनुसार समय बीत जाने पर उपलब्धि उतना आनंद नहीं देती जितना की समय पर प्राप्त होकर देती। क्योंकि समय पर प्राप्त हुई उपलब्धि मन को संतुष्ट करती है और संतुष्ट मन में ईर्ष्या, द्वेष और निराशा उत्पन्न नहीं होती। समय पर मिलने वाली सफलता मन को उत्साहित करती है और भविष्य के प्रति आशावादी दृष्टिकोण को भी विकसित करती है।

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