एक कहानी यह भी प्रश्न और उत्तर Class 10

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 10 Ek kahani yah bhi Questions and Answers

प्र०1. लेखिका के व्यक्तित्व पर किन –किन व्यक्तियों का और किस रूप में प्रभाव पड़ा?

उत्तर– लेखिका के व्यक्तित्व पर दो व्यक्तियों का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा। पहला लेखिका के पिताजी का तथा दूसरा उनकी कॉलेज की हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का।

लेखिका के पिता एक प्रतिष्ठित एवं सम्मानित व्यक्ति थे और पूरे परिवार पर उनका वर्चस्व था। गोरा रंग उनके पिताजी की सबसे बड़ी कमजोरी थी लेखिका सांवली थी। इसके कारण इतने वर्षों बाद भी अपना सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त करने के बावजूद भी वे इस हीन भावना की ग्रंथि से उबर न सकी।

पिताजी के शक्की स्वभाव की झलक भी कहीं न कहीं अपने भीतर पाती थी। विचारों के टकराव ने भी उनके मन में कुंठाओ को जन्म दिया, यह टकराहट पिताजी के साथ ही थी। यही कारण है कि पिताजी के उस प्रभाव से लेखिका ने स्वयं को कभी मुक्त नहीं पाया।

शीला अग्रवाल जो लेखिका को फर्स्ट ईयर में हिंदी पढ़ाती थी। उन्होंने तो लेखिका को पूरा ही बदल दिया। पुस्तकों के मात्र पढ़ने के स्थान पर उनका चुनाव करके पढ़ना, फिर उस पर बहसे करना– यह सब उन्होंने लेखिका को सिखाया। भाई –बहनों के घर से जाने के बाद लेखिका को उनके पिताजी ने एक नई दिशा दी थी।

रसोई घर की चारदीवारी से उन्हें बाहर निकालकर अपने घर पर होने वाली सभी गोष्ठियों में वे लेखिका को शामिल करते थे, जिससे देश में होने वाली गतिविधियों आंदोलनों आदि को वे जान सके। शीला अग्रवाल ने उन्हें इन आंदोलनों में सक्रिय रुप से भाग लेना सिखाया। लेखिका के व्यक्तित्व पर इन दोनों का महत्वपूर्ण योगदान था।

प्र०2. इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है?

उत्तर– इस आत्मकथा में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर इसलिए संबोधित किया है क्योंकि उनका मानना था कि रसोई घर में रहकर उसकी भट्टी में महिलाओं की प्रतिभा एवं क्षमता जलकर राख हो जाती है। उन्हें रसोई के कार्यों में उलझाकर अपनी प्रतिभा, कला, क्षमता एवं इच्छाओं का दमन करना पड़ता है। इसलिए लेखिका के पिता रसोई घर को भटियारखाना कहकर संबोधित करते हैं।

प्र०3. वह कौन–सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आंखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?

उत्तर– लेखिका के पिता की सबसे बड़ी दुर्बलता थी– यश और प्रतिष्ठा की लिप्सा। व्यक्ति को कुछ विशिष्ट बनकर जीवन जीना चाहिए और समाज में इज्जत सम्मान भी होनी चाहिए इस सिद्धांत को लेकर ही वे जीवन भर चलते रहे।

यही कारण था कि जब एक बार लेखिका के कॉलेज के प्रिंसिपल का पत्र उनके पिताजी के नाम आया जिसमें उनसे आकर मिलने की बात थी और यह भी पूछा गया था कि लेखिका की गतिविधियों के कारण उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों न की जाए, तो उसे पढ़कर पिताजी आग बबूला हो गए थे। वे गुस्से में भरे हुए कॉलेज गए थे।

तब डरी– सहमी लेखिका ने मां से कहा था कि लौटने पर जब पिताजी का गुबार निकल जाए तो वे उसे बुलाए। किंतु जब पिताजी कॉलेज से खुशी-खुशी लौटे और उन्होंने लेखिका की प्रशंसा की तो वे अवाक रह गई और उन्हें अपनी आंखों और कानों पर विश्वास नहीं हुआ।

उन्हें यह सब एक सपने की तरह लग रहा था। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि गुस्से से भरे हुए पिताजी मेरी प्रशंसा कर रहे हैं। यही सब देखकर लेखिका को अपने आंख और कान पर विश्वास नहीं हो रहा था।

प्र०4. लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए

उत्तर– अपने ही लोगों के हाथों विश्वासघात ने लेखिका के पिता को शक्की बना दिया था। इसी कारण जबसे लेखिका ने होश संभाला तब से उनका अपने पिता से किसी न किसी बात पर टकराव चलता रहता था। शायद खंडित विश्वासों के भीतर यही शक्की स्वभाव भी लेखिका को अपने भीतर भी कई बार दिखाई देता था, जो कहीं कुंठाओ के रूप में तो कहीं प्रतिक्रियाओं के रूप में दिखाई देता था और यही टकराव का कारण भी था। ऐसी छोटी मोटी बातों के कारण लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट होती रहती थीं।

प्र०5. इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए

उत्तर– पिता के साथ घर में होने वाली गोष्ठियों ने मन्नू को देश में चल रही स्वाधीनता से जुड़ी गतिविधियों के प्रति जागरूक बना दिया था। कॉलेज की हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने उन्हें इन्हीं आंदोलनों से सक्रिय रुप से जोड़ दिया।

परिणामस्वरूप मन्नू और उनके साथ दो –एक लड़कियों के एक संकेत पर सारे कॉलेज की लड़कियां बाहर निकल आती थी। चारों ओर से उमड़ती भीड़ के बीच खड़ी होकर बिना किसी संकोच के धुआंधार बोलती जाती थी। कॉलेज का अनुशासन बिगाड़ने के आरोप में ही उन्हें कॉलेज से बाहर निकाल दिया गया था।

कॉलेज के प्रिंसिपल ने भी उनकी इन्हीं गतिविधियों से तंग आकर उनके पिता को पत्र लिखा था। अतः कहां जा सकता है कि स्वाधीनता आंदोलन में लेखिका की भी अहम भूमिका थी।

रचना और अभिव्यक्ति

प्र०6. लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियां ऐसी ही है या बदल गई है, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए

उत्तर– लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा जैसे खेल भी खेले लेकिन लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदिवारी तक सीमित था। आज स्थितियां बदल गई हैं। आज लड़कियों पर लगे अंकुश धीरे-धीरे समाप्त होने लगा है।

लड़कियां घर के अंदर खेलने– कूदने तक ही सीमित नहीं है वे घर की दहलीज पार कर देश– विदेशों तक पहुंच गई है। लड़कियां लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। पहले जो लड़कियां घर के अंदर रहती थी, आज वे समाज– सेवा, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेलकूद में उत्साहपूर्ण एवं निडरता के साथ कार्य करती दिखाई दे रही है।

आजकल लड़कियां लड़कों से कम नहीं है, जो काम लड़के कर सकते हैं वह काम लड़कियां भी कर सकती हैं। वह अपने मर्जी से कहीं भी आ –जा सकती है।

प्र०7. मनुष्य के जीवन में आस –पड़ोस का बहुत महत्व होता है। बड़े शहरों में रहने वाले लोग प्राय: ‘पड़ोस – कल्चर ’से वंचित रह जाते हैं। अपने अनुभव के आधार पर लिखिए

उत्तर– आज मनुष्य के संबंधों का क्षेत्र सीमित होता जा रहा है, मनुष्य आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। उन लोगों को अपने सगे संबंधी के बारे में भी अधिक जानकारी नहीं होती। यही कारण है कि आज के समय में पड़ोस कल्चर लुप्त होता जा रहा है।

लोगों को समय का अभाव होता जा रहा है। लोगों को इतना समय नहीं है कि वह अपने पड़ोसियों से बातचीत करें। सभी अपने स्वार्थ के पीछे रहते हैं। पड़ोस में क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है, वह इतने नजदीक होकर भी उन्हें कुछ पता नहीं होता। कई लोग तो पड़ोस के नाम से भी वंचित रहते हैं।

प्रश्न8. लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए।

उत्तर: लेखिका मन्नू भंडारी ने अपनी किशोरावस्था में निम्नलिखित उपन्यास पढ़े थे:

१.शेखर एक जीवनी

२. सुनीता

३ नदी के द्वीप

४. चित्रलेखा

५. त्याग-पत्र

प्रश्न9. आप भी अपने दैनिक अनुभव को डायरी में लिखिए।

उत्तर: छात्र अपने दैनिक अनुभवों को स्वयं डायरीबद्ध करें।

भाषा– अध्ययन

प्रश्न10. इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएं–

क. इस बीच पिताजी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिताजी की लू उतारी

उत्तर– लू उतारी– निर्धन और लाचार व्यक्ति की कोई भी लू उतार देता है।

ख. वे तो आग लगाकर चले गए और पिताजी सारे दिन भभकते रहे।

उत्तर– आग लगाना– अपने स्वार्थ के लिए नेता जनता में बड़ी आसानी से सांप्रदायिकता की आग लगा देते हैं।

ग. बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू–थू करके चले जाएं।

उत्तर– थू– थू करना– निठारी हत्याकांड के आरोपियों की सारे देश में थू– थू हो रही है।

घ. पत्र पढ़ते ही पिताजी आग बबूला हो गए।

उत्तर– आग बबूला होना– बेटे को शराब पीते देख पिता आग बबूला हो गया

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