Hindi Kshitij Chapter – 4 Suryakant Tripathi Nirala Utsah : Summary Class 10
कवि –
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
सारांश
उत्साह कविता में कवि ने बादलों को संबोधित किया है तथा उनकी विशेषता बताते हुए उनसे आग्रह किया है।
साथ ही कवि ने बादलों के जरिए हमें प्रेरित होकर उत्साह मनाने के लिए भी कहां है।
शुरू की पंक्तियों में कवि जयशंकर प्रसाद निराला कहते हैं , बादल खूब गरजो जैसे तुम गरजते हो, तुम काले काले घुंघराले बालों के समान प्रतीत होते हो जैसे किसी छोटे बच्चों के प्यारे काले घुंघराले बाल होते हैं। कवि निराला बादलों की विशेषता बताते हुए कहते हैं कि तुममे जो विद्युत यानी बिजली के समान गरजने और बरसाने की जो शक्ति अपने हृदय में समा रखी है, उसे हृदय में रखकर उस शक्ति का प्रयोग नए जीवन को उत्पन्न करने वाली बारिश के रूप में करो। बादल तुम खूब जोर से गरजो !
अब आगे की दूसरी पंक्ति में कवि निराला कहते हैं कि , बेचैन और परेशान विश्व के सभी लोग जो कि तप्ति गर्मी से बहुत परेशान और बेचैन हो गए है, हे बादल अनजान दिशा से अनेक बदलो के साथ आओ और इस तप्ति धरा को अपने जल से फिर से शीतल करदो। बादल तुम खूब गरजो !
सप्रसंग व्याख्या :
उत्साह
बादल, गरजो! –
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ !
ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले !
वज्र छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो –
बादल, गरजो !
सप्रसंग व्याख्या:
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक क्षितिज भाग 2 के पाठ ‘उत्साह’ से लिया गया है । इसके रचयिता छायावादी कवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ हैं ।
प्रसंग – इसमें कवि बादलों को गर्जना करने हेतु उनका आह्वान करता है ।
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन !
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो –
बादल, गरजो !
सप्रसंग व्याख्या:
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक क्षितिज भाग 2 के पाठ ‘उत्साह’ से लिया गया है । इसके रचयिता छायावादी कवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ हैं।
प्रसंग – यहाँ कवि ने बादल को नयी कल्पना और नये अंकुर के लिए विनाश‚ विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला बताया है। निराला जी का कहना है कि –