लखनवी अंदाज़ प्रश्न और उत्तर Class 10

Immerse yourself in the eloquence of Lakhnavi Andaaz with NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 9. Explore the art of expression and the beauty of language through captivating poems and essays. Our comprehensive solutions provide detailed answers to questions, unlocking the essence of each piece and its literary charm. Discover the cultural context and poetic brilliance woven into these masterful works. Ace your exams and develop a profound appreciation for Hindi literature with these expert-crafted solutions. Let these literary gems elevate your language skills and enrich your academic journey.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter-9 Lakhnavi Andaaz Questions and Answers

प्रश्न1. लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उचित नहीं है?

उत्तर: भीड़ से बचकर यात्रा करने के उद्देश्य से जब लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे पर चढ़े तो उन्होंने देखा कि एक नवाब साहब पहले से ही उस डिब्बे पर विराजमान है। लेखक को देखकर नवाब साहब की आंखों में असंतोष का भाव उभर आया क्योंकि लेखक ने उनके एकान्त में विघ्न डाल दिया था। इसलिए उन्होंने लेखक से बातचीत करने की ना तो पहल की और ना ही कोई रूचि दिखाई। और लेखक की ओर देखने के बजाय खिड़की से बाहर के दृश्य को देखने लगे। इन सब हाव-भावों से लेखक ने जान लिया, कि नवाब साहब उनसे बातचीत करने के इच्छुक नहीं है।

प्रश्न2. नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंतत: सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?

उत्तर: नवाब साहब ने जब बहुत ही जतन से खीरा कांटा, उसमें नमक मिर्ची बुरका और अंततः सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उनका ऐसा करना उनकी नवाबी ठाठ-बाठ दिखाता है। और वे ऐसा करके लेखक को अपनी अमीरी और नवाबीपन दिखाना चाहते हैं। लेखक के अनुसार उनका ऐसा करना दंभ, मिथ्या प्रदर्शन और उनके व्यवहारिक खोखलेपन की ओर संकेत करता है।

प्रश्न3. बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर: बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है अर्थात नहीं लिखी जा सकती। और मैं भी लेखक के इन विचारों से पूर्णतया सहमत हूं। क्योंकि कहानी किसी घटना विशेष का वर्णन करती है जैसे कब, क्यों और कैसे। इसका अर्थ है कि वह घटना कब हुई, क्यों हुई और कैसे हुई। और कोई भी घटना पात्रों के बिना अधूरी है। क्योंकि पात्र ही संवाद से उस घटना को व्यक्त करते हैं।

प्रश्न4. आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे?

उत्तर: मैं इस निबंध को दूसरा नाम देना चाहूंगा- ‘नकली अंदाज’। क्योंकि नवाब साहबों का समय तो कब का जा चुका था और उनकी नवाबी भी बहुत पहले ही छिन चुकी थी। लेकिन दिखावे की प्रकृति अभी भी बरकरार है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न5. (क) नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
(ख) किन-किन चीज़ों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं?

उत्तर: (क) नवाब साहब पैसेंजर ट्रेन के सेकंड क्लास के डिब्बे में आराम से अकाउंट में बैठे हुए थे। खीरा खाने की इच्छा से दो ताज़े चिकने खीरे एक तौलिए पर निकाल के रखें। नवाब साहब ने सीट के नीचे से पानी का लोटा निकाला और फिर उन्होंने खीरे को खिड़की से बाहर निकालकर लोटे के पानी से धोया। तौलिए से साफ़ कर पानी सुखा लिया जेब से चाकू निकाला। खीरों के सिरे कांटे उनका झाग निकाला और फिर बड़े सलीके से छिलकर उसकी फाँकें बनाने लगे। खीरे की पतली फाँकों को करीने से तौलिए पर सजाया। उसके बाद जीरा मिला नमक और मिर्च छिड़का, मुंह तक ले गए और इसके बाद एक-एक करके उन फाँको को उठाते गए और उन्हें सूँघकर खिड़की से बाहर फेंकते गए। सभी फोन की भयंकर डकारें ली।

(ख) छात्र स्वयं करें।

प्रश्न6. खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौक के बारे में पढ़ा-सुना होगा। किसी एक के बारे में लिखिए।

उत्तर: हां यह बात तो है की नवाब अपनी वस्तु और हैसियत को बढ़ा चढ़ा कर ही दिखाते और बताते थे। बात-बात पर दिखावा करना और दूसरों को नीचा दिखाना यह उनके कुछ खास शौको में से एक थे। नहीं, हमने नवाबों कि किसी सनक और शौक के बारे में कहीं नहीं पड़ा या सुना है।

प्रश्न7. क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: नहीं, सनक का कोई सकारात्मक रूप नहीं हो सकता है। लेकिन मनुष्य अगर ठान लें या उसमें लगन हो तो वह बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकता है।
भाषा अध्यन

प्रश्न8. निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए:
(क) एक सफ़ेदपोश सज्जन बहुत सुविधा से पालथी मारे बैठे थे।
(ख) नवाब साहब ने संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया।
(ग) ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है।
(घ) अकेले सफ़र का वक्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे।
(ङ) दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला।
(च) नवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फाँकों की ओर देखा।
(छ) नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए।
(ज) जेब से चाकू निकाला।

उत्तर: (क) बैठे थे – अकर्मक क्रिया
(ख) दिखाया – सकर्मक क्रिया
(ग) आदत है- सकर्मक क्रिया
(घ) खरीदे होंगे – सकर्मक क्रिया
(ङ) निकाला – सकर्मक क्रिया
(च) देखा – सकर्मक क्रिया
(छ) लेट गए- अकर्मक क्रिया
(ज) निकाला – सकर्मक क्रिया

Leave a Reply