मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया प्रश्न और उत्तर कक्षा 10

Mudran Sanskriti aur Adhunik Duniya Questions and Answers Class 10

प्रश्न 1. निम्नलिखित के कारण दें:

(क) वुडब्लॉक प्रिंट या तख़्ती की छपाई यूरोप में 1295 के बाद आई।

उत्तर- 1295 ईसवी में मार्कोपोलो नामक महान खोजी यात्रा कर चीन से काफी वर्षों बाद खोज कर वापस इटली लौटे। मार्कोपोलो अपने साथ चीन की वुडब्लॉक (काट की तख्ती) वाली छपाई की तकनीक अपने साथ लेकर आए‚ इतालवी की तख़्ती की छपाई से किताबें निकलने लगी और देखते-देखते यह पूरे यूरोप में फैल गई।

(ख) मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने इसकी खुलेआम प्रशंसा की।

उत्तर- धर्म सुधारक मार्टिन लूथर रोमन कैथोलिक चर्च के गलत विचारों की आलोचना करी। जैसे ही लूथर की किताब बहुत बड़ी संख्या में छपने लगे और लोगों द्वारा पढ़े जाने लगे, इससे प्रोटेस्टेंट धर्म सुधारक की शुरुआत हुई। लूथर द्वारा लिखी किताब कुछ ही हफ्तों में 5000 प्रतियां बिक गई और आने वाले कुछ महीनों के अंदर दूसरा संस्करण निकालना पड़ा। मार्टिन लूथर के कुछ शब्द “मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है सबसे बड़ा तोहफा”।
इससे यह पता चलता है कि मुद्रण की कितनी ताकत है उस समय में जब मार्टिन ने अपनी किताब लिखी धर्म को सुधारने के लिए तो मुद्रण का इसमें बहुत बड़ा योगदान रहा है, जो लोगों तक लूथर के विचारों को पहुंचा व उनकी सोच को बदलने में सहायता की इस वजह से मार्टिन लूथर हमेशा मुद्रण का पक्ष लेते और प्रशंसा करते थे।

(ग) रोमन कैथोलिक चर्च ने सोलहवीं सदी के मध्य से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखनी शुरू कर दी।

उत्तर- 16वीं शताब्दी के मध्य से रोमन कैथोलिक चर्च बहुत ही घृणा का सामना कर रहे थे क्योंकि मुद्रण के द्वारा लोगों के विचार बदले, लोग अपने तरीके से बाइबल के नए अर्थ बनाने शुरू कर दिए। धर्म के ऊपर उठाए जा रहे सवालों से परेशान रोमन कैथोलिक चर्च ने 1558 ई में धर्म के विरुद्ध किताबों पर रोक लगा दी व इन किताबों की सूची रखनी शुरू कर दी।

(घ) महात्मा गांधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति‚ प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई है।

उत्तर- गांधी जी के अनुसार स्वराज की लड़ाई दरअसल लोगों की स्वतंत्र सोच, लोगों के स्वतंत्र विचारधारा व लोगों की स्वतंत्र मुद्रण से था और प्रेस एक माध्यम सबसे शक्तिशाली वस्तु थी जो लोगों को आज़ादी की ओर ले जा सकती थी। अंत: स्वराज की लड़ाई विचार, स्वतंत्रता व संगठन बनाने की लड़ाई थी।

प्रश्न 2. छोटी टिप्पणी में इनके बारे में बताएं:

(क) गुटेन्बर्ग प्रेस

उत्तर- १. गुटेन्बर्ग ने 1448 तक अपना यंत्र पूरा कर लिया था।
२. उनकी जो पहली किताब छपी वह ‘बाईबल’ थी। ३. 180 प्रतियां बनाने में उस समय 3 साल लगे जोकि तब के हिसाब से काफी तेज था।
४. अक्षरों की धातु में आकृतियों को बनाने के लिए शीशे के ढांचो का प्रयोग किया गया।

(ख) छपी किताबों को लेकर इरैस्मस के विचार।

उत्तर- लातिन के विद्वान, कैथोलिक सुधारक इनके कैथोलिक धर्म की गलत विचारधारा के विरुद्ध खड़े हुए‚ परंतु मार्टिन लूथर से उतनी ही दूरी पर रहे। प्रिंट को लेकर बहुत ही ज्यादा परेशान थे। उनके अनुसार किताबें एक ऐसी भिन्न-भिन्न आती मक्खियां थी जो देश के कोने-कोने तक पहुंच जाती थी। अच्छी चीजों का तो वितरण करती थी, परंतु अक्सर अच्छी चीजों की भी अति हानिकारक है और इससे नहीं बचा सकता।

(ग) देसी प्रेस एक्ट या वर्नाकुलर।

उत्तर- यह एक्ट प्रेस के लिए बनाया गया था यह एक्टर सरकार द्वारा प्रेस की सीमा निर्धारित करती थी। इस एक्ट के अनुसार प्रेस को सरकार के विरोध कोई भी ऐसी रपट नहीं लिखने जो लोगों को हिंसक करें यदि कोई प्रेस सरकार के विरोध कुछ लिखता था तो उसे चेतावनी दे दी जाती थी। यदि वह चेतावनी की ओर ध्यान नहीं देता था तो कुछ समय बाद उसकी अखबार को जप्त कर लिया जाता था और छपाई मशीन भी छीन ली जाती थी।

3. 19वीं सदी में भारत में मुद्रण संस्कृति के प्रसार का इनके लिए क्या मतलब था:

(क) महिलाएं

उत्तर- भारत में मुद्रण संस्कृति महिलाओं के लिए लाभकारी साबित हुई। इससे महिलाओं को साक्षर होने में सहायता मिली व लोगों की सोच भी बदली। उदारवादी परिवारों में महिलाओं को पढ़ाने की प्रेरणा जगी और अधिकतर महिलाएं चोरी छुपे पढ़ती थी। बाद में उन्हीं महिलाओं ने अपने जीवन के ऊपर आत्मकथाएं व कहानियां लिखी उन्हें प्रकाशित करवाया। मुद्रण संस्कृति महिलाओं में आत्मविश्वास, लोगों में महिलाओं को शिक्षित करने का प्रयास सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुई।

(ख) गरीब जनता

उत्तर- 19वीं सदी के दौरान कुछ उपन्यास चौक चौराहे पर बहुत ही कम दामों में बेचने जाते थे। जिससे गरीब लोग उन्हें खरीद उन्हें पढ़ते थे। इसके कारण गरीब लोग भी कहानियां कथाएं लोकगीत इन सब को पढ़ते थे सस्ती पुस्तकों के कारण गरीब लोग भी इन्हें पढ़ने के लिए आकर्षित हुए।

(ग) सुधारक

उत्तर- भारतीय सुधारकों ने 19वीं शताब्दी में अपने विचारों के प्रसार के लिए मुद्रण संस्कृति को एक महत्वपूर्ण माध्यम बताया। उन्होंने भाषा एसी की कई देशों की अखबारों का प्रकाशन आरंभ किया इसके माध्यम से वह लोगों को जागरूक करने में सहायक हुए बाल विवाह, सती प्रथा आदि कुरीतियों के विरुद्ध में खड़े हुए। मुद्रण संस्कृति के चलते उन्होंने अंधविश्वास को तोड़ा, आधुनिक समाज की रचना की, राजनीतिक विचारों का प्रचार किया। इससे हमें लाभ हुआ।

चर्चा करें

प्रश्न1. 18 वीं सदी के यूरोप में कुछ लोगों को क्यों ऐसा लगता था कि मुद्रण संस्कृति से निरंकुशवाद का अंत और ज्ञानोदय होगा?

उत्तर- 1. लोगों के अंदर यह विश्वास आ चुका था 18 वीं सदी तक की पुस्तकों से ज्ञान में वृद्धि होती है।

2. लोगों को यह समझ आ चुका था कि पुस्तक के विचार बदल सकती हैं वह आतंकी निरंकुश राजसत्ता से मुक्ति दिला लोगों में विवेक, एकता व बुद्धि का राज लाएगी।

3. फ्रांस के एक उपन्यासकार मार्सिए ने यह कहा कि ” छापाखाना प्रगति का सबसे ताकतवर और जार है इससे बन रहे जनमत की आंधी से निरंकुशवाद उड़ जाएगा”। भारतीय उपन्यासों में नायक थे राय वह किताबें पढ़ते किताबों की दुनिया में खोए रहते इस क्रम में वह ज्ञान की प्राप्ति करते।

4. ज्ञान की विधि विवेक से निरंकुशवाद को नष्ट करने में छापेखाने की अहम भूमिका रही है मासी ने कहा ” हे निरंकुशवाद शासक अब तुम्हारे कांपने का समय आ गया है अब हासिल एक की कलम के जोर के आगे तुम हिल उठोगे”।

प्रश्न2. कुछ लोग किताबों की सुलभता को लेकर चिंतित क्यों थे? यूरोप और भारत से एक एक उदाहरण देकर समझाएं?

उत्तर- यह सत्य है कि कुछ लोग किताबों की सुर बता से चिंतित थे क्योंकि उनके विचारों के अनुसार उन्हें डर था कि कहीं इससे विद्रोह या अधार्मिक विचारों का उदय ना हो।

उदाहरण: (क) यूरोप: 1558 में कैथोलिक चर्च की घटना पुस्तकों की सूची बनाकर मुद्रित पुस्तकों को रोकने की कोशिश करना।

(ख) भारतीय प्रेस पर प्रतिबंध लगाया जाना बढ़ने वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट के द्वारा।

प्रश्न3. 19वीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का क्या असर हुआ?

उत्तर- 19वीं सदी में भारतीय गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का निम्नलिखित असर हुआ:

1. अनेक लोगों को नौकरियां प्राप्त हुई।

2. सस्ती पुस्तक के मिलने के कारण लोगों में पढ़ने के लिए जागरूक हुए।

3. सस्ती मुद्रण के कारण समाचार मिलने लगे।

4. राष्ट्रवादी भावना के विकास के लिए भाषाई प्रेस ने गरीब लोगो को जागरूक किया l

5. राष्ट्रवादी आंदोलन में गरीब लोगों का जुड़ना।

6. पुस्तकों के द्वारा लोगों की अज्ञानता में वृद्धि और अशिक्षा को पीछे छोड़ना ,बुराई के विरुद्ध जागरूकता।

प्रश्न4. मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या मदद की?

उत्तर- 1. सरकार के शोषण के तरीकों की जानकारी आम जनता तक पहुंचाई गई, भाषा समाचार पत्रों द्वारा।

2. पत्र-पत्रिका में आवाज उठाई जाती थी गलत के विरुद्ध छापे जाने वाली सरकार की गलत नीतियां, प्रेस की स्वतंत्रता को रोकना।

3. क्रांतिकारी विचारों को पुस्तकों द्वारा लोगों तक पहुंचाया जाना।

4. सरकार के दृष्टिकोण को प्रचारित प्रसारित करना राष्ट्रीय समाचार पत्र सदा यही करता था।

5. यूरोप में फैल रहे ‘स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व’ के सिद्धांतों को मुद्रण संस्कृति सही जानकारी मिली।

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