नौबतखाने में इबादत सारांश Class 10

Naubatkhane me ibadat Summary Class 10

क्षितिज भाग –२. यतींद्र मिश्र

जीवन परिचय– साहित्य और कलाओं के संवर्धन में विशेष सहयोग प्रदान करने वाले श्री यतींद्र मिश्र का जन्म सन् 1977 में उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ से एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। वे सन् 1999 से एक सांस्कृतिक न्यास ‘विमला देवी फाउंडेशन’ का भी संचालन कर रहे हैं जिसमें साहित्य और कलाओं के संवर्धन और अनुपालन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। उनको भारत भूषण अग्रवाल कविता सम्मान, हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार, ऋतुराज सम्मान आदि अनेक पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। आजकल स्वतंत्र लेखन के साथ–साथ ‘सहित’ नामक अर्धवार्षिक पत्रिका का संपादन कर रहे हैं।

प्रमुख रचनाएँ – अब तक यतींद्र मिश्र के तीन काव्य – संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं- संगीत और ललित कलाओं को समाज के साथ जोड़ा है। उन्होंने समाज के अनेक भावुक प्रसंगों को बड़ी सहजता एवं स्वाभाविक रूप से शब्दों में पिरोया है। उनकी रचनाओं के माध्यम से समाज के विविध रूपों के बहुत ही निकला से दर्शन होते हैं।

भाषा शैली– यतींद्र मिश्र की भाषा सरल, सहज, प्रवाहमय , प्रसंगानुकूल है। उनकी रचनाओं में संवेदना एवं भावुकता का अद्भुत संगम दृष्टिगोचर होता है। उन्होंने अपनी रचनाओं को प्रभावशाली बनाने हेतु लोक प्रचलित शब्दावली के साथ-साथ सूक्तिपरक वाक्यों का भी प्रयोग किया है।

नौबतखाने में इबादत सारांश

सारांश– प्रस्तुत लेख यतींद्र मिश्र द्वारा रचित व्यक्ति–चित्रलेखा हैं। ‘नौबतखाने में इबादत’ में लेखक ने प्रसिद्ध वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के व्यक्तिगत परिचय देने के लिए। साथ ही उनकी रुचियां, उनके अंतर्मन की बनावट, संगीत साधना एवं लग्न का मार्मिक एवं सजीव चित्रण किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि संगीत एक साधना है। इसका अपना विधि-विधान और शास्त्र है। इस शास्त्र परिचय के साथ ही अभ्यास भी आवश्यक है। यहां बिस्मिल्लाह खां की लग्न एवं धैर्य के माध्यम से बताया गया है कि संगीत के अभ्यास के लिए पूर्ण तन्यमता, धैर्य एवं मंथन के अलावा गुरु शिष्य परंपरा का निर्वाह भी जरूरी है। यहां दो संप्रदायों के एक होने की भी प्रेरणा दी गई है।

शब्दार्थ
१. डयोढी….. दहलीज
२. नौबतखाना….. प्रवेश द्वार के ऊपर मंगल ध्वनि बजाने का स्थान
३. रियाज….. अभ्यास
४. मार्फत….. द्वारा
५. श्रृंगी….. सींग का बना वाद्ययंत्र
६. मूर्छंग….. एक प्रकार का लोक वाद्ययंत्र
७.नेमत….. ईश्वर की देन, सुख, धन– दौलत
८. सजदा….. माथा टेकना
९. इबादत….. उपासना
१०. तासीर….. गुण, प्रभाव, असर
११. श्रुति….. शब्द ध्वनि
१२. ऊहापोह….. उलझन, अनिश्चिता
१३. तिलीसिम….. जादू
१४. गमक….. खुशबू, सुगंध
१५. अजादारी….. मातम करना या दुख मनाना
१६. बदस्तूर….. कायदे से या तरीके से
१७. नैसर्गिक….. प्राकृतिक
१८. दाद….. शाबाशी
१९. तालीम….. शिक्षा
२०. अदब….. साहित्य
२१. अलहमदुलिल्लाह….. तमाम तारीफ ईश्वर के लिए
२२. जिजीविषा….. जीने की इच्छा
२३. शिरकत….. शामिल होना।

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