NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 11 नौबतखाने में इबादत पाठ का प्रश्न और उत्तर

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 11 – “Naubatkhane Me Ibadat.”

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 11 Naubatkhane me ibadat Questions and Answers

(प्रश्न–अभ्यास)

प्र०1. शहनाई की दुनिया में डुमरांव को क्यों याद किया जाता है?

उत्तर:– शहनाई की दुनिया में डुमरांव को इसलिए याद किया जाता है, क्योंकि शहनाई और डुमरांव एक–दूसरे का बहुत ही गहरा संबंध है। शहनाई बजाने के लिए रीड या नरकट नामक घास से बनाई जाती है। यह रीड अंदर से गीली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है। यह रीड या नरकट घास डुमरांव में विशेष रूप से सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। विश्व प्रसिद्ध शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खा का जन्म स्थान डुमरांव ही है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खां भी डुमरांव के ही रहने वाले थे।

प्र०2. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है?

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उत्तर:– बिस्मिल्ला ख़ाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वे अपनी 80 वर्ष के अंतिम पड़ाव में भी सच्चे सूर के लिए खुदा से प्रार्थना करते हैं तथा प्रतिदिन की अपनी प्रत्येक नमाज में इसी सुर को प्राप्त करने की प्रार्थना करते। उनकी यही हार्दिक इच्छा रहती थी कि लोगों के मांगलिक कार्यक्रमों में उनकी शहनाई की धुन बजती रहे। वे चाहते थे कि चाहे किसी भी कार्यक्रम का आयोजन हो उसमें उनकी ही शहनाई की धुन प्रसिद्ध हो।

प्र०3. सुषिर – वाघो से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिरवाघो में शाह ’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?

उत्तर:– ‘ सुषिर – वाद्य ’ उन्हें कहा जाता है जिनको फूंक बजाया जाता है। वैदिक इतिहास में शहनाई का उल्लेख नहीं मिलता। अरब देश में फूँककर बजाए जाने वाले वाद्य जिसमें नाड़ी होती है, उसे ‘नय’ कहते हैं। सुषिर – वाद्य में शहनाई, मुरली, वंशी, श्रृंगी, मूर्छित आदि आते हैं। इनमें शहनाई को मंगल का परिवेश प्रतिष्ठित करने वाला वाघ माना गया है। इसी आधार पर शहनाई को ‘सुषिर – वाघो में शाह ’ की उपाधि दी गई है।

प्र०4. आशय स्पष्ट कीजिए–

(क) ‘फटा सुर न बख्शें, लुंगिया का क्या है, आज फटी है तो कल सी जाएगी।’

उत्तर:– प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि बिस्मिल्ला खां ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनकी लूंगी भले ही फट जाए परंतु शहनाई का स्वर कभी न फटे, वह सदैव पूर्ण एवं सच्चा बना रहे। लुंगी का क्या है वह फट जाए तो दोबारा सील जाएगी परंतु सुर फटने के बाद उसमें सुधार नहीं किया जा सकता। सुर अच्छा होगा तो लोगों के दिल में भी अच्छी जगह होगी, लूंगी फटेगी तो आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी।

(ख) ‘मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आंखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आए।

उत्तर:– प्रस्तुत पंक्तियों में कहने का आशय यह है कि बिस्मिल्ला खाँ 80 वर्ष की अवस्था में भी पांचों वक्त नमाज पढ़ते और खुदा से सच्चे सुर को प्राप्त करने की प्रार्थना करते थे। वे अपने सुर में ऐसा प्रभाव पाना चाहते थे कि उसके प्रभाव से भाव – विभोर होकर प्रत्येक आंख से सच्चे मोतियों की तरह चमकते आंसू बहने लगे।

प्र०5. काशी में हो रहे कौन से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?

उत्तर:– काशी जो संगीत, साहित्य और आदर सम्मान की परंपराओं के लिए प्रसिद्ध थी। आज वहां की परंपराओं में परिवर्तन आ गया है। गायकों के मन में अपने संगीतकारों की कोई चिंता नहीं रही और न आदर रहा, घंटो किए जाने वाले रियाज को कोई नहीं पूछता। संगीत, साहित्य आदर की अधिकतम परंपराएं प्राय: लुप्त हो गई थी। वहां से मलाई – बर्फ बेचने वाले भी जा चुके हैं। देसी घी की बनी कचौड़ी अब वहां नहीं मिलती। इन सब को देख कर बिस्मिल्ला ख़ाँ व्यथित हो उठे थे।

प्र०6. पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि–

(क) बिस्मिल्ला खां मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

उत्तर:– वे एक शिया मुसलमान के बेटे थे। अपने धर्म के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की अपार श्रद्धा एवं अटूट विश्वास भगवान विश्वनाथ जी, बालाजी एवं गंगा जी के प्रति भी थी। वह अल्लाह की इबादत भैरवी में करते थे। नाम अल्लाह का है राग तो भैरव है। वे इन दोनों को एक मान व जान कर ही साधते थे। उन प्रसंगों के आधार पर हम कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला खां मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

(ख) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इंसान थे।

उत्तर:–1. बिस्मिल्ला खां ने अपने हुनर को हमेशा भगवान की देन माना और अपने शहनाई बजाने को उन्होंने बाजार में नहीं भुनाया।
2. हवाई जहाज से यात्रा करना पसंद नहीं करते थे।
3. पांच सितारा होटल में रह नहीं पाते थे।
4.शहनाई बजाने की फीस उतनी ही लेते थे जितने कि उन्हें आवश्यकता होती थी।
5.उन्हें काशी से बहुत लगाव था। वे कहते थे यहां हमारी कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है। जैसी निष्ठा उनकी शहनाई वादन के प्रति थी वैसी ही काशी के प्रति भी।
6. वे काशी से बढ़कर किसी जन्नत को इस धरती पर नहीं मानते थे। अतः वह हृदय के स्वामी वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इंसान थे।
7.वह देख-रेख के दिखावे में नहीं आते थे।

प्र०7. बिस्मिल्ला खां के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया?

उत्तर:– बिस्मिल्ला खां की संगीत साधना को जिन व्यक्तियों ने समृद्ध किया, वे है–
बालाजी के मंदिर के रास्ते में रसूलन बाई और बतूलनबाई नामक दो बहने– जिन्होंने बिस्मिल्ला खां के जीवन के आरंभिक दिनों में संगीत के प्रति आसक्ति भर दी थी। अमीरुद्दीन के नाना भी एक प्रसिद्ध शहनाई वादक थे, वे छिपकर सुनते थे और बाद में शहनाई के ढेर में से उस शहनाई को ढूंढते जो नाना के बजाने पर मीठी धुन छेड़ती थी।
उस्ताद के मामा अली बख्श खां जब शहनाई बजाते थे तो बिस्मिल्ला ख़ां खुश होकर जमीन पर पत्थर मारते थे। उनका जमीन पर पत्थर मारना खुशी का कारण था।

रचना और अभिव्यक्ति

प्र०8. बिस्मिल्ला खां के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?

उत्तर:– बिस्मिल्ला खां के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएं हैं जिन्होंने हमें प्रभावित किया है:
1. सर्वप्रथम हमें उनके अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण की भावना ने प्रभावित किया है।
2.उन्होंने अपने जीवन में संगीत को ही वरीयता दी तथा अन्य बातों को गौण रखा।
3.शहनाई वादक के रूप में प्रसिद्धि पाने व भारतरत्न जैसे पुरस्कारों से पुरस्कृत होने के बाद भी किसी तरह की कोई बाहरी दिखावा न करके वे बहुत ही सादे कपड़ों में रहते।
4.उनका सहज प्रवृत्ति ही दिखाई देता।
5.उनके हृदय में हिंदू मुस्लिम संप्रदाय में एकता बनाए रखने की भावना भी प्रबल रूप से विद्यमान थी।
6. उन्होंने हमेशा प्रेम व भाईचारे की भावना को मजबूत किया।
7. वे किसी से भी किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करते थे।
8. वह एकदम सादगी भरा जीवन जीते थे, किसी से किसी भी प्रकार का मनमुटाव नहीं रखते थे।
9.हमेशा खुश और संतुष्ट रहते थे तथा अपने शहनाई की धुन के प्रसिद्ध होने का ख्वाब देखते थे।

प्र०9. मुहर्रम से बिस्मिल्ला खां के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:– ‘मुहर्रम’ बिस्मिल्ला खां तथा शहनाई के साथ जुड़ा हुआ एक मुस्लिम पर्व है। मुहर्रम के महीने में शिया मुसलमान हजरत इमाम हुसैन तथा उनके वसंजो के प्रति मातम मनाते हैं। पूरे 10 दिनों तक चलने वाले इस मातम के दौरान किसी तरह का कोई संगीत कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है। आठवें दिन बिस्मिल्ला खां खड़े होकर शहनाई बजाते थे तथा दालमंडी में फातमान के करीब 8 किलोमीटर दूर पैदल रोते हुए, शोक की धुन बजाते हुए जाते थे। वे इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की कुर्बानी में रोते रहते। मुहर्रम के इस गमगीन माहौल से बिस्मिल्ला खां का विशेष लगाव था।

प्र०1०. बिस्मिल्ला खां कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर:– बिस्मिल्ला खां 80 वर्ष की अवस्था में भी सच्चे सुर को पाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते रहे। वे कई घंटे तक शहनाई बजाने का रियाज करते रहते थे। वे संगीत कला की उपासना में लगे रहते थे। उन्हें कुलसुम हलवाइन की देसी घी की कचौड़ी संगीतमय लगती थी। जब कचौड़ी घी में डाली जाती थी, उस समय छन्न्न से उठने वाली आवाज में भी उन्हें सारे आरोह– अवरोह दिख जाते थे।

भाषा-अध्ययन

प्र०11. निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए-

यहाँ दिए गए मिश्र वाक्यों के उपवाक्य और उनके भेद हैं :

(क) यह जरूर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।

उत्तर:– कि शहनाई और डुमराँव एक दूसरे के लिए उपयोगी हैं। (संज्ञा उपवाक्य)

यह जरूर है – मुख्य वाक्य

कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं – संवाद वाक्य

(ख) रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है।

उत्तर:– जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है। (विशेषण आश्रित उपवाक्य)

रीड अंदर से पोली होती है – मुख्य वाक्य

जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है – संवाद वाक्य

(ग) रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।

उत्तर:– जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती हैं। (विशेषण आश्रित उपवाक्य)

रीड नरकट से बनाई जाती है – मुख्य वाक्य 

जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है – संवाद वाक्य

(घ) उनको यकीन है, कभी ख़ुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।

उत्तर:– कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा। (क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य)

उनको यकीन है – मुख्य वाक्य

कभी ख़ुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा – संवाद वाक्य

(ङ) हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।

उत्तर:– जिसकी गमक उसी में समाई है। (विशेषण आश्रित उपवाक्य)

हिरन अपनी ही महक से परेशान – मुख्य वाक्य

पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है – संवाद वाक्य

जिसकी गमक उसी में समाई है – संवाद वाक्य

(च) खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।

उत्तर:–  कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत की संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा। (संज्ञा आश्रित उपवाक्य)

खाँ साहब की सबसे बड़ी देन – मुख्य वाक्य

हमें यही है – संवाद वाक्य

कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा – संवाद वाक्य

प्र०12. निम्नलिखित वाक्यों को मिश्र वाक्य में बदलिए–

(क) इसी बालसुलभ हंसी में कई यादें बंद है।

उत्तर:– जो यह बालसुलभ हंसी है उसमें कई यादें बंद है।

(ख) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।

उत्तर:- काशी वह स्थान है जहां संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।

(ग) धत्त! पगली ई भारतरत्न हमको शहनइया पे मिला है लूंगिया पे नाही।

उत्तर:– धत्त! पगली ई भारतरत्न हमको लूंगीया पे नाही, बल्कि शहनइया पे मिला है।

(घ) काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

उत्तर:– यह काशी का वह नायाब हीरा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

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