NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 8 उपन्यास,समाज और इतिहास प्रश्न और उत्तर

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 8 Upnayas, Samaj aur Itihash Questions and Answers

प्रश्न 1.  इन की व्याख्या करें-

(क) ब्रिटेन में आए सामाजिक बदलावों से पठिकाओं की संख्या में इजाफा हुआ।

(ख) रॉबिंसन क्रूसो के वह कौन से कृत्य हैं, जिनके कारण वह हमें ठेठ उपनिवेशकार दिखाई देने लगता है।

(ग) 1740 के बाद गरीब लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे।

(घ) औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक के राजनीतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे थे।

उत्तर.(क) ब्रिटेन में 18 वीं सदी में आए सामाजिक बदलावों से सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह थी। कि सभी महिलाएं उससे जुड़ने लगी 18वीं सदी में मध्यवर्ग बहुत संपन्न होते गए जिससे महिलाओं को उपन्यास पढ़ने पर लिखने का समय मिल सका। कई सारे उपन्यास तो घरेलू जिंदगी पर केंद्रित थे।इससे सभी महिलाओं को अपने अधिकार के साथ बोलने का अवसर भी मिल सका सभी महिलाओं ने अपनी खुद की पहचान बनाई।अतः उपन्यासों में सभी महिला जगत को, उनकी भावनाओं, को उनके तजुर्बे, को उनकी पहचान को,समझा जाने लगा।

(ख) रॉबिंसन क्रूसो हर एक दासी को मुक्त कराकर उसे अपना गुलाम बना लेता था। उनसे उनका नाम भी पूछना जरूरी नहीं समझता था। रॉबिंसन क्रूसो गैर-लोगों को बराबर का मनुष्य नहीं मानता था।बल्कि उनको अपना हिनतर जीव मानता था। उस समय ज्यादातर लेखक उपनिवेशक को एक सहज और कुदरती परिघटना मानते थे। जिन्हें उपनिवेशवाकृत्य गुलाम बनाया गया था। उन लोगों को आदिमानुस , और इंसान से कम माना जाता था। परंतु जिन दासियों को रॉबिंसन क्रूसो ने अपना गुलाम बना कर रख रखा था। उनका यह विश्वास था,कि उन्हें अपनी अस्मिता,अपने मसलो और राष्ट्रीय सरोकारों को समझने का मौका दिया जाएगा।यही निम्नलिखित कृत्य थे, जिनके कारण रॉबिंसन क्रूसो हमें ठेठ उपनिवेशकार दिखाई देने लगे।

 (ग) 1740 के बाद गरीब भी उपन्यास पढ़ने लगे क्योंकि 1740 में किराए पर चलने वाले पुस्तकालय की स्थापना के बाद लोगों के लिए किताबें उपलब्ध हो गई। मार्केटिंग के नए तरीकों से किताबों की बिक्री बढ़ गई। और फ्रांस में प्रकाशकों को लगा कि उपन्यासों को घंटे के हिसाब से किराए पर उठाने से ज्यादा लाभ हो सकता है। उपन्यासों में लिखी गई कहानियां पढ़ने के बाद सभी लोगों को ऐसा लगता था जैसे सच हो।गरीबों को उपन्यास पढ़ने में दिलचस्पी आई,इसलिए वह उपन्यास पढ़ने लगे।

(घ) औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनीतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे थे। वह चाहते थे कि भारत की एक अलग प्रतिबिंब बने और वह यह भी चाहते थे कि भारतीय जनता को औरों से बेहतर दिखाय जाए।लेकिन जिस तरीकों से औपनिवेशिक शासक भारत के इतिहास की व्याख्या करते थे। उस तरीके से कई उपन्यासकर राजी नहीं थे। इसलिए वह औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनीतिक 

  प्रश्न 2. तकनीक और समाज में आए उन बदलावों के बारे में बताएं जिनके चलते 18वीं सदी के आरोप में उपन्यास पढ़ने वालों की संख्या में वृद्धि हुई।

उत्तर. तकनीक और समाज में आए बदलावों से 18 वीं सदी के यूरोप में उपन्यास पढ़ने वालों की संख्या में वृद्धि इसलिए हुई। क्योंकि 1740 में किराए पर चलने वाले  पुस्तकालयों की स्थापना की गई पुस्तकालय की स्थापना करने के बाद मार्केटिंग के नए तरीकों से किताबों की बिक्री बढ़ने लगी और सभी लोगों के पास किताबें उपलब्ध होने लगी।

 प्रश्न 3.  निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें-

(क) उड़िया उपन्यास 

उत्तर. उड़िया उपन्यास को ओडिशा उपन्यास या ओड़ीया उपन्यास भी कह सकते हैं। राम शंकर राय जी ने सौदामिनी नाम का प्रथम उड़िया उपन्यास 1877 से 1888 तक नाटक करके शुरू किया गया था। लेकिन यह सौदामिनी का प्रथम उपन्यास पूरा नहीं हो सका। फकीर मोहन सेनापति ने 30 वर्ष के अंदर उड़ीसा में 1883 से 1918 के रूप में एक बड़ा उपन्यासकार पैदा किया। फकीर मोहन सेनापति के उपन्यास कारों में से एक उपन्यास का नाम है ‘छःमारो आठों गुंठी’ (छह एकड़ और बत्तिस गठे जमीन) था।इसके साथ-साथ एक नए किस्म के उपन्यास की धारा शुरू हुई जो की जमीन और उस पर हक के सवालों से जुड़ी हुई थी। इस उपन्यास में रामचंद्र मंगराज एक जमींदार के मैनेजर की नौकरी करता था। जमींदार बहुत ज्यादा पियक्कड़ और आलसी था। इसलिए रामचंद्र मंगआज अपने मालिक जमींदार को बहुत ज्यादा ठगता तथा रामचंद्र मंगराज भगिया और सरिया (पति-पत्नी)की उपजाऊ जमीन को हड़पने की सोच में रहता था। रामचंद्र मंगराज उन दोनों पति-पत्नीकको बेवकूफ बनाकर उन्हें कर्जे में दवा लेता था। ताकि वह उपजाऊ जमीन उसकी हो जाए।परंतु यह उपन्यास मील का पत्थर साबित हुआ। और इस उपन्यास ने यह भी साबित कर दिया कि ऐसे उपन्यासों के जरिए ग्रामीण मुद्दों को भी गहरी सोच का अहम हिस्सा बनाया जा सकता है।फकीर मोहन सेनापति ने यह उपन्यास लिखकर बंगाल तथा अन्य स्थानों में बहुत सारे लेखकों के लिए रास्ते खोल दिए थे।

(ख) जेन ऑस्टिन द्वारा औरतों का चित्रण 

उत्तर. जेन ऑस्टिन के उपन्यासों की औरतें हमेशा अच्छी शादी और पैसों की फिराक में रहती थी। जेन ऑस्टिन की कृतियों मे ज्यादातर ऐसी औरतें मिलती थी जो सामाजिक मान्यताओं को मानने से पहले उससे लड़ती थी। 1874 के दौर में महिलाओं को खामोश और शालीन रहने का संस्कार दिया जाता था। परंतु जैन ऑस्टिन ही एक ऐसी महिला थी। जो 10 साल की उम्र में ही बड़ों के पाखंड का मुंहतोड़ जवाब देकर उन्हें चौंका देती थी। तथा जेन ऑस्टिन ने अपने जमाने में ग्रामीण औरतों के बारे में भी लिखा था।

(ग) उपन्यास परीक्षा- गुरु के दर्शाए गए नए मध्यवर्ग की तस्वीर।

उत्तर. परिक्षा- गुरु उपन्यास से मध्यवर्ग की अंदरूनी व बाहरी दुनिया का पता चलता है। इस उपन्यास के चरित्रों को औपनिवेशिक शासन से कदम मिलाने में कैसी मुश्किल आती है और अपनी सांस्कृतिक अस्मिता को लेकर वे क्या- क्या सोचते हैं। यह सब इस उपन्यास का कथ्य है। यह उपन्यास हर एक इंसान को यह उम्मीद दिलाता है। कि वह समाज चतुर और व्यवहारिक बने तथा साथ ही साथ यह भी सिखाता है कि अपनी सांस्कृतिक परंपरा में रहे और इज्जत तथा गरिमा की जिंदगी जिए।

 चर्चा करें :

प्रश्न 1. 19 वीं सदी के ब्रिटेन में आए ऐसे कुछ सामाजिक बदलावों की चर्चा करें जिनके बारे में टॉम साड़ी और चार्ल्स डिकेंस ने लिखा है।

उत्तर. 19वीं सदी के ब्रिटेन में सामाजिक बदलावों से चार्ल्स डिकेंस ने ब्रिटिश के लोगों के जीवन व उनके चरित्र पर हो रहे, दुष्प्रभावों के बारे में लिखा था। 19वीं सदी मेंयुवकको ने औद्योगिक युग में प्रवेश किया था। नई फैक्ट्रियां आई,व्यवस्थाएं के मुनाफे बढे दूर-दूर तक अथृव्यवस्था  फैली ।लेकिन साथ ही साथ मजदूरों की समस्याएं भी बढ़ गई। बेचारे गरीब बेरोजगार काम की तलाश में सड़कों की खाक छानने लगे और वर्क हाउस तथा रैनबसेरे में अपना पनाह लेने लगे। वहीं दूसरी तरफ टॉम हार्डी एक अंग्रेजी उपन्यासकार थे। जिन्होंने औद्योगिकरण के कारण गायब होते ग्रामय समुदाय के विषय में लिखा था।

 प्रश्न 2. 19 वीं सदी के यूरोप और भारत, दोनों जगह उपन्यास पढ़ने वाली औरतों के बारे में जो चिंता पैदा हुई उससे संक्षेप में लिखिए। इन चिंताओं से इस बारे में क्या पता चलता है कि उस समय औरतों को किस तरह देखा जाता था?

उत्तर. 19वीं सदी के यूरोप में जब महिलाओं ने उपन्यास पढ़ना और लिखना शुरू किया।तब वहां के लोगों के मन में यह डर पैदा हो गया कि अगर महिलाओं ने उपन्यास पढ़ना एवं लिखना शुरू कर दिया। तो वह अपने घर का कामकाज, अपना अपना पत्नी धर्म तथा घर की जिम्मेदारियों को त्याग देंगी। जिससे सारे परिवार तितर-बितर हो जाएंगे तथा वह अपने सारे सामाजिक रीति-रिवाजों को भूल जाएंगी। लेकिन उपन्यासों में सभी महिलाओं के जगत को, उनकी भावनाओं को, उनके तजुर्बे को, उनके मसलों को तथा उनकी भावनाओं , उनकी पहचान से जुड़े मुद्दों को समझा जाने लगा। जब भारत में महिलाएं उपन्यास पढ़ने लगी तो भारत के पुरुष चिंता करने लगे कुछ पुरुषों ने तो पत्र लिखकर लोगों से प्रार्थना की कि वह उपनयासो के दुष्प्रभावों से बचें. यह सुझाव खासकर महिलाओं के लिए था। तथा पुरुषों का मानना यह मानना था कि  महिलाओं के उपन्यास पढ़ने  से उनको बहकाया जा सकता है। तथा महिलाओं की जिंदगी भी बर्बाद हो सकती है। उस समय के पुरुष कहते थे कि महिलाएं घर पर ही रह कर अपना कर्तव्य निभाएं अपनी जिम्मेदारियों को देखें तथा अपने बच्चों को देखे।वह चाहते थे कि महिलाएं उपन्यास पढ़कर या लिख कर अपना समय बर्बाद ना करें। तथा इन चिंताओं से हमें यह पता चलता है कि उस समय महिलाओं को शक के नजरिए से देखा जाता था।

 प्रश्न 3. औपनिवेशिक भारत में उपन्यास किस तरह उपनिवेशकारों और राष्ट्रवादीयों, दोनों के लिए लाभदायक था?

उत्तर. औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार उपनिवेश कारों और राष्ट्रवाद दोनों के लिए निम्न कारण से लाभदायक थे। भारत बहुत दिनों तक इंग्लैंड का औपनिवेशिक रहा है।तथा औपनिवेशिक सरकार को उपन्यासों में, देहाती जीवन में तथा रीति-रिवाजों से संबंधित जानकारियों का बहुमूल्य स्त्रोत नजर आया था। सभी तरह के समुदायों और जातियों वाले भारतीय उपयोग उपनिवेश कारों के लिए लाभदायक था। राष्ट्रीय वादियों के लिए उपन्यास इसलिए लाभदायक था क्योंकि हमारे हिंदुस्तान में उपन्यासों का उपयोग समाज में बढ़ती बुराइयों का निरूपण करने के लिए किया था, और उनका अंत करने के लिए किया था।उपन्यासों की मदद से रिश्ता व भूत दोनों कायम किए गए। उपन्यास पुराने जमाने की शौर्य और साजिश की रोमांचक कहानियां थी।तथा प्राचीन काल का महिमा गायन  करके इन कृतियों ने पाठकों में राष्ट्रीय गौरव की भावना का संचार पैदा  किया था।

 प्रश्न 4. इस बारे में बताएं कि हमारे देश में उपन्यासों में जाति के मुद्दे को किस तरह उठाया गया। किन्ही दो उपन्यासों का उदाहरण दें और बताएं कि उन्होंने पाठकों को मौजूदा सामाजिक मुद्दों के बारे में सोचने को प्रेरित करने के लिए क्या प्रयास किया।

उत्तर. हमारे देश में उपन्यासों में जाति के मुद्दे को उपन्यासों में उच्च जाति की अन्य जातियों से वैवाहिक समस्या तथा जाति दमन को उठाया गया है। जिसमें उपन्यासकार पाठकों के नए मूल्यों की सहारना करने तथा गैर तरीकों को ना बनाने का आदेश देते हैं।जैसे कि ‘इंदुलेखा’ में किया गया था। वहीं दूसरी तरफ ‘सरस्वती विजयनयम’ में पोथेरी कंजूमबू ने सभी जातियों के लोगों की उन्नति के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर डाला था।

प्रश्न 5. बताइए कि भारतीय उपन्यासों में एक अखिल भारतीय जुड़ाव का अहसास पैदा करने के लिए किस तरह की कोशिशें की गई।

उत्तर. भारतीय उपन्यासों ने एक अखिल भारतीय जुड़ाव का अहसास पैदा करने के लिए कई तरह की कोशिशें की है।जैसे मराठीयों और राजपूतों को वीरता पूर्ण कारनामों और देशभक्ति के द्वारा लोगो में शस्त्र होने का भाव उत्पन्न करवाया। उन्होंने भारतीय उपन्यासों के शासक को उत्पीड़न  करके उन्हें उजागर किया। इस उत्पीड़न के शिकार में भारत के लगभग सभी वर्ग के लोग थे। जिससे भारतीयों में भारत के प्रति भारतीयता का एहसास उत्पन्न हुआ। 

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