NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika साना-साना हाथ जोडि प्रश्न और उत्तर

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 Sana Sana Hath Jodi Questions and Answers

प्रश्न1. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?

उत्तर: झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका के मन को सम्मोहित कर रहा था। इसकी सुंदरता ने लेखिका पर ऐसा जादू कर दिया था। जिससे लेखिका को सब कुछ स्थगित और शून्य सा लग रहा था। लेखिका को इस प्रकार का एहसास हो रहा था जैसे मानो उसके बाहर और भीतर सिर्फ ब्रह्मा है।

प्रश्न2. गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया?

उत्तर: गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ इसलिए कहा गया है क्योंकि गंतोक एक पर्वतीय क्षेत्र है जहां जीवनयापन करना बहुत ही मुश्किल है। गंतोक की औरतों को अपने बच्चों को पीठ पर बांधकर भी पत्थर तोड़ने पड़ते हैं। यह कार्य इतने खतरनाक हैं कि कई बार ऐसे कार्य करते हुए उन्हें अपने प्राणों को गवाना पड़ता है। यह शहर बच्चों के लिए भी बड़ा दुर्गम है क्योंकि स्कूल दूर होने के कारण बच्चों को तीन-चार किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर स्कूल जाना पड़ता है।

प्रश्न3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?

उत्तर: श्वेत पताकाए तब फहराई जाती है जब किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु हो जाती है। शहर या कस्बे से दूर किसी वीरान जगह पर मंत्र लिखित 108 पताकाओं को फहराया जाता है। इन्हें उतारा नहीं जाता यह समय के साथ स्वयं ही नष्ट हो जाती है।
और रंगीन पताकाओं को किसी शुभ या नए कार्य की शुरुआत के समय ही फहराया जाता है।

प्रश्न4. जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।

उत्तर: सिक्किम भारत से लगता हुआ एक स्वतंत्र राज्य था। यह एक ऐतिहासिक शहर था। यहां के लोग बहुत ही भोले और मेहनती है। सिक्किम में गंतोक से लेकर यूमथांग तक तरह-तरह के फूल हैं। फूलों से लदी वादियाँ हैं। ज्यादा विकास ना होने के कारण यहां के लोग बहुत गरीब हैं। महिलाओं को भी बच्चों को अपनी पीठ में बांधकर सड़क बनाने और पत्थर तोड़ने का कार्य आदि करना पड़ता है। परंतु ये अपने जीवन से हतोत्साहित नहीं है तथा खुशी-खुशी जीवन-यापन करते हैं और सच्चे देशभक्त हैं।

प्रश्न5. लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी?

उत्तर: लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी दिखाई दी क्योंकि लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका ने जब जितेन नार्गे से उसके बारे में पूछा। तो पता चला कि यह धर्म-चक्र है। इसे घुमाने पर सारे पाप धुल जाते हैं। यह सब जानकर लेखिका सोचती भारत में लोग अब भी मानसिक संकीर्णता तथा अंधविश्वासों से मुक्त नहीं हुए हैं। उसे लगा कि पूरे भारत की आत्मा एक-सी है। और सारी वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद उनके अंध-विश्वास और पाप-पुण्य की अवधारणाएँ एक-सी हैं।

प्रश्न6. जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?

उत्तर: १. उसे अपने क्षेत्र की अच्छी भौगोलिक जानकारी होती है।
२. उसमे वाक्पटुता और विनम्र स्वभाव होता है।
३. उसे उस क्षेत्र की सांस्कृतिक, जनश्रुति और दंतकथा आदि की भी अच्छी जानकारी होती है।
४. वह साहसी होता है।
५. उसमे स्वयं निर्णय लेने का साहस होता है।
६. उसमें अपने भ्रमणकर्ताओ के सभी सवालों के जवाब देने की क्षमता होती है।

प्रश्न 7. इस यात्रा-वृतांत में लेखिका ने हिमालय के जिन जिन रूपों का चित्र खींचा है उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: इस यात्रा-वृतांत में लेखिका ‘मधु कांकरिया’ ने हिमालय, पर्वत, पहाड़ों के पल-पल बदलते रूप को देखा है। हिमालय कहीं चटक हरे रंग का मोटा कालीन ओढ़े हुए, तो कहीं हल्का पीलापन लिए हुए। प्रतीत होता है। चारों तरफ हिमालय की गहनतम वादियाँ और फूलों से लदी घाटियाँ थी। जैसे-जैसे और ऊंचाई पर चढ़ते जाएँ हिमालय विशाल से विशालतर होता चला जाता है। कहीं प्लास्टर उखड़ी दिवार की तरह पथरीका और देखते ही देखते सब कुछ खत्म हो जाता है, मानो हिमालय की परि ने आकर अपने जादू की छड़ी घूमा दी हो। कभी बादलों की मोटी चादर के रूप में सब कुछ बादलमय दिखाई देता है तो, कभी कुछ और कटाओ से आगे बढ़ने पर पूरी तरह बर्फ से ढके पहाड़ दिख रहे थे। चारों तरफ दूध की धार की भांति जलश्रोत दिखाई देते, तो वहीं नीचे चाँदी की तरह कोध मारती तिस्ता नदी। इन सब ने लेखिका के हृदय को आनन्द से भर दिया था और आंखें तो थक ही नहीं रही थी। लेखिका ‘मधु कांकरिया’ स्वयं को इस पवित्र स्वर्ग के भांति दिखने वाले वातावरण में पाकर अत्यंत भावुक हो गई, जिसने उनके दिल वह दिमाग़ को काव्यमय बना दिया।

प्रश्न8. प्रकृति के उस अनंत और विटाट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है ?

उत्तर: लेखिका प्रकृति के उस अनंत और विटाट स्वरूप को देखकर रोमांचित व पुलकित थी। लेखिका को प्रकृति अत्यंत रहस्यमई और मोहक लगती है। प्रकृति के विभिन्न रहस्य को देखकर लेखिका के मन की सारी तामसिकताएँ और दुष्ट वासनाएँ खत्म हो गई। और प्रकृति के सौंदर्य को देखकर लेखिका को जीवन की अद्भुत सुंदरता का एहसास हुआ।

प्रश्न9. प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?

उत्तर: प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को उस दृश्य ने झकझोर दिया जब लेखिका ने देखा कि कुछ पहाड़ी औरतें पीठ पर बच्चों को बांधे अपने कोमल हाथों से कठोर पत्थरों को तोड़ रही थी। वह यह सोच कर दुखी थी कि नदी, फूलों, वादियों और झरनों के ऐसे स्वर्गिक सौंदर्य के बीच भूख, मौत, दैन्य और जिंदा रहने की बीच जंग जारी है।

प्रश्न10. सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।

उत्तर: सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में निम्न लोगों का योगदान है:
१. वे सरकारी लोग जो सैलानियों के लिए ही नियुक्त किए गए हैं।
२. वहां के स्थानीय लोग जो सैलानियों को उस जगह के बारे में बताते हैं।
३. उस क्षेत्र की जानकारी रखने वाले गाइड जो पर्यटकों को विभिन्न जानकारियां देखकर मनोरंजन करते हैं।
४. सहयोगी यात्री जो यात्रा में भी मस्ती भरा माहौल बनाए रखते हैं।
५. वाहन चालकों का जो पर्यटकों को नए स्थानों पर ले जाते हैं।

प्रश्न11. “कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?

उत्तर: किसी देश की आमजनता देश की आर्थिक प्रगति में बहुत अधिक अप्रत्यक्ष योगदान देती है। जैसे मज़दूर, ड्राइवर, फेरीवाले, कृषि कार्यों से जुड़े लोग देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह लोग अपने श्रम के बदले में बहुत थोड़ा सा हिस्सा लेकर बाकी सब कुछ समाज को वापस लौटा देते हैं। यहां तक कि कई बार तो इनको जान से भी हाथ धोना पड़ता है लेकिन फिर भी पूरी लगन व मेहनत के साथ श्रम साधना में लगे रहते हैं। जैसे कि इस पाठ में पत्थर तोड़ने वाली और सड़क में काम करने वाली औरतें जो पीठ पर अपने बच्चों को लादकर भी इन खतरनाक वह मेहनती कामों को करती हैं। और कभी-कभी तो इस काम में उनकी जान भी चली जाती है। लेकिन देश के विकास के लिए यह लोग बहुत कम लेकर भी जान की बाजी खेल जाते हैं।

प्रश्न12. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।

उत्तर: आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ निम्नलिखित तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है:
१. वृक्षों को काटकर।
२. वाहनों से निकलते प्रदूषण से वातावरण की शुद्ध हवा को प्रदूषित करके।
३. फैक्ट्रियों के अपशिष्ट को शुद्ध नदियों के पानी में डालकर।
४. प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग करके।

इसे रोकने में हमारी निम्नलिखित भूमिका होनी चाहिए:
१. प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करें।
२. पेड़ों को ना काटे और ना काटने दे।
३. अत्यधिक पेड़ लगाकर।
४. वाहनों और फैक्ट्रियों के प्रदूषण को कम करके।

प्रश्न13. प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है? प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।

उत्तर: लायुग में लेखिका को उम्मीद थी की उसे बर्फ देखने को मिल जाएगी। लेकिन सिक्किम में पहुंचते ही एक युवक ने उन्हें बताया कि बढ़ते प्रदूषण के कारण स्नोफॉल कम हो गया है। अत बर्फ देखने के लिए उन्हें 500 मीटर ऊपर जाना पड़ेगा।

प्रदूषण के कारण निम्नलिखित दुष्परिणाम सामने आए हैं:
१. धरती का तापमान बढ़ रहा है।
२. हवा प्रदूषित हो रही है जिसके कारण सांस संबंधी रोग बढ़ रहे हैं।
३. वर्षा पर्याप्त रूप से नहीं हो रही है जिसके कारण शुद्ध जल की कमी बढ़ती जा रही है।

प्रश्न14. ‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए?

उत्तर: ‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है क्योंकि दुकान आदि ना खुलने के कारण वहां व्यवसायीकरण ज्यादा नहीं फैल पाया। जिसके कारण लोग वहां बड़ी संख्या में नहीं आते हैं। और लोगों के ना आने के कारण वहां कूड़ा-करकट नहीं फैलता है।

प्रश्न 15. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?

उत्तर: प्रकृति ने जल-संचय को बहुत बढ़िया तरीके से व्यवस्थित किया हुआ है। ये शीत ऋतु में पर्वत, पहाड़ और शिखरों पर बर्फ के रूप में गिरकर जल का संग्रहण कर लेती है। हिम-मंडित पर्वत-शिखर एक प्रकार के जल-स्तंभ हैं, जो गर्मियों में जलधारा बनकर करोड़ों कंठों की प्यास बुझाने के साथ-साथ सूखी नदियों को पुनः भर देती है फिर यह नदियों कि बहती जलधारा अपने किनारे बसे नगरो व गाँवों में जल-संसाधन के रूप में, नहरों के द्वारा एक बड़े फैले हुए क्षेत्र में सिंचाई करती हैं और फिर आखिरी में यह सागर में जाकर मिल जाती हैं, फिर सागर से यह जल वाष्प के रूप में उड़ जाते हैं, जो मैदानी क्षेत्रों में वर्षा तथा पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फ के रूप में बरसते हैं। ये अद्भुत ‘जल-चक्र’ पुनः चलता रहता है। सच मे प्रकृति की जल-संचयन तथा वितरण की व्यवस्था बड़ी अनुपम है।

प्रश्न 16. देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?

उत्तर: देश की सीमाओं पर बैठे फ़ौजी उन सभी विषमताओं में जूझते हैं जो सामान्य जनजीवन के लिए अति कठिन है। वह निम्नलिखित है:-
1. वह एक ऐसे स्थान पर रहते हैं, जहाँ गर्मियों में भी तापमान माइनस में चला जाता है।
2. जहाँ पेट्रोल को छोड़ सब कुछ जम जाता है, वहाँ भी फ़ौज के जवान दिन-रात तैनाते रहते हैं।
3. इसी प्रकार वे शरीर को तपा देने वाली गर्मियों में भी रेगिस्तान में रहते हुए हाँफ-हॉंफ कर अनेक विषमताओं से जूझते हुए कठिनाइयों का सामना करते हैं।
4. वे दिन-रात, धूप-छांव की परवाह किए बिना प्रकृति के प्रकोप को सहन करते हैं।
5. वह हम सब के लिए अपने घर परिवार व बच्चों को छोड़, अपनी जान तक कुर्बान करते हैं।
6. वह त्योहारों की खुशी से बढ़कर, अपने जंग जीतने की खुशी को सेलिब्रेट करते हैं।

उनके प्रति हमारा उत्तरदायित्व यह होना चाहिए, कि–
1. हम उनका आदर-सम्मान करें।
2. उनके और उनके परिवारों के प्रति सम्माननीय भाव तथा आत्मीय संबंध बनाए रखें।
3. उनके प्रति देश की प्रतिष्ठा और गौरव को अखंड रखने वाले महारथी के रूप में सम्मानित करें।
4. उन्हें अकेलेपन का एहसास न होने दें तथा उन्हें निराशा से बचाएँ।
5. सैनिकों के दूर रहते हुए उनके हर कार्य में सहयोगी बनें।

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