NCERT Solutions for Class 10 Social Science in Hindi Medium jan sangharsh aur andolan Questions and Answers
प्रश्न 1. दबाव-समूह और आंदोलन राजनीति को किस तरह प्रभावित करते हैं?
उत्तर: दबाव समूह अनेक ढंग से राजनीति को प्रभावित करते हैं। जैसे, वें जनता की सहानुभूति और समर्थन प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। मीडिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश करते हैं और विपक्षी नेताओं को भी अपने साथ जोड़ने का प्रयास करते हैं। जिससे कि सरकार और जनता का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हो और उनकी बात मानी जाए।
प्रश्न 2. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप कैसा होता है, वर्णन करें।
उत्तर: कई दबाव समूह राजनीतिक दलों द्वारा ही बनाए गए होते हैं और कुछ जगह यह देखा गया है कि जो दबाव समूह पहले आंदोलनों का सहारा लेते थे, बाद में वही एक राजनीतिक पार्टी के रूप ले लेते हैं। और कई बार राजनीतिक दलों के नेता इन दबाव समूहों से ही आते हैं।
प्रश्न 3. दबाव-समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं?
उत्तर: लोकतंत्र में शासकों पर दबाव डालना कोई बुरी बात नहीं है यदि इस दबाव से दूसरे वर्गों का आहित ना हो। दबाव समूह सरकार को आम नागरिक की कठिनाइयों और आवश्यकताओं से अवगत कराते हैं। जिससे सरकार को निर्णय करने में आसानी होती है।
प्रश्न 4. दबाव-समूह क्या हैं? कुछ उदाहरण बताइए।
उत्तर: जब कुछ लोग अपने विशेष उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संगठन बनाते हैं तो ऐसे संगठनों को दबाव-समूह कहा जाता है।
उदाहरण: वकील लोग, अध्यापक या मजदूर वर्ग अपने हितों की पूर्ति के लिए दबाव-समूह बनाते हैं।
प्रश्न 5. दबाव-समूह और राजनीतिक दल में क्या अंतर है?
उत्तर:
दबाव-समूह | राजनीतिक दल |
१. दबाव-समूहों का देश की सत्ता संभालने का कोई लालच नहीं होता। | १. राजनीतिक दलों का उद्देश्य सत्ता होता है। |
२. दबाव समूहों के सदस्यों की संख्या राजनीतिक दलों के मुकाबले बहुत कम होती है। | २. राजनीतिक दलों में सदस्यों की संख्या हजारों में या लाखों में भी हो सकती है। |
३. दबाव-समूहों का उद्देश्य सीमित होता है। | ३. राजनीतिक दलों का उद्देश्य विस्तृत होता है यह लगभग जीवन के हर पहलू राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक आदि को छूते हैं। |
प्रश्न 6. जो संगठन विशिष्ट वर्ग जैसे मज़दूर, कर्मचारी, शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलाते हैं उन्हें …….. कहा जाता है।
उत्तर: दबाव-समूह।
प्रश्न 7. निम्नलिखित में किस कथन से स्पष्ट होता है कि दबाव-समूह और राजनीतिक दल में अंतर होता है
(क) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं जबकि दबाव-समूह राजनीतिक मसलों की चिंता नहीं करते।
(ख) दबाव-समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं जबकि राजनीतिक दल का दायरा ज्यादा लोगों तक फैला होता है।
(ग) दबाव समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना।
(घ) दबाव-समूह लोगों की लामबंदी नहीं करते जबकि राजनीतिक दल करते हैं।
उत्तर: (ग) दबाव समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना।
प्रश्न 8. सूची I (संगठन और संघर्ष) का मिलान सूची II से कीजिए और सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर चुनिए।
सूची I | सूची II |
किसी विशेष तबके या समूह के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन | (क) आंदोलन |
जन-समान्य के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन | (ख) राजनीतिक दल |
किसी राजनीतिक समस्या के समाधान के लिए चलाया गया एक ऐसा संघर्ष जिसमें सांगठनिक संरचना हो भी सकती है और नहीं भी। | (ग) वर्ग-विशेष हित समूह |
ऐसा संगठन जो राजनीतिक सत्ता पाने की गरज से लोगों को लामबंद करता है। | (घ) लोक कल्याणकारी हित समूह |
1 | 2 | 3 | 4 | |
(क) | ग | घ | ख | क |
(ख) | ग | घ | क | ख |
(ग) | घ | ग | ख | क |
(घ) | ख | ग | घ | क |
उत्तर: (ख) ग, घ, क, ख
प्रश्न 9. सूची I का सूची II से मिलान करें और सूचियों के नीचे दी गई सारणी में सही उत्तर को चुनें।
सूची I | सूची II |
1. दबाव-समूह | (क) नर्मदा बचाओ आंदोलन |
2. लम्बी अवधि का आंदोलन | (ख) असमगण परिषद् |
3. एक मुद्दे पर आधारित आंदोलन | (ग) महिला आंदोलन |
4. राजनीतिक दल | (घ) खाद विक्रेताओं का संघ |
1 | 2 | 3 | 4 | |
(अ) | घ | ग | क | ख |
(ब) | ख | क | घ | ग |
(स) | ग | घ | ख | क |
(द) | ख | स | ग | क |
उत्तर: (ख) घ, ग, क, ख
प्रश्न 10. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(क) दबाव-समूह समाज के किसी खास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं।
(ख) दबाव-समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई न कोई पक्ष लेते हैं।
(ग) सभी दबाव-समूह राजनीतिक दल होते हैं।
अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें:
(अ) क, ख और ग
(ब) क और ख
(स) ख और ग
(द) क और ग
उत्तर: (ब) क और ख
प्रश्न 11. मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा इलाका है। यह गुड़गाँव और फरीदाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता था। मेवात के लोगों को लगा कि इस इलाके को अगर अलग जिला बना दिया जाय तो इस इलाके पर ज्यादा ध्यान जाएगा। लेकिन, राजनीतिक दल इस बात में कोई रुचि नहीं ले रहे थे। सन् 1996 में मेवात एजुकेशन एंड सोशल आर्गेनाइजेशन तथा मेवात साक्षरता समिति ने अलग जिला बनाने की मांग उठाई। बाद में सन् 2000 में मेवात विकास सभा को स्थापना हुई। इसने एक के बाद एक कई जन-जागरण अभियान चलाए। इससे बाध्य होकर बड़े दलों यानी कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को इस मुद्दे को अपना समर्थन देना पड़ा। उन्होंने फ़रवरी 2005 में होने वाले विधान सभा के चुनाव से पहले ही कह दिया कि नया जिला बना दिया जाएगा। नया जिला सन् 2005 को जुलाई में बना।
इस उदाहरण में आपको आदोलन, राजनीतिक दल और सरकार के बीच क्या रिश्ता नप्तर
आता है? क्या आप कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जो इससे अलग रिश्ता बताता हो ?
उत्तर: इस उदाहरण से यह स्पष्ट निष्कर्ष निकलता है कि आंदोलनों, राजनीतिक दलों और सरकार में बड़ा गहरा सम्बन्ध होता है।
जिसे इस उदाहरण में बताया गया है की पहले तो मेवात के लोगों की मांग कि मेवात का एक जिला बना दिया की ओर राजनीतिक दलों ने कोई ध्यान नहीं दिया। परंतु जब अनेक जल-कल्याण समूहों, जैसे मेवात एजुकेशन एवं सोशल आर्गनाइज़ेशन, मेवात विकास आदि ने जन-कल्याण आंदोलन चलाए। तो विभिन्न राजनीतिक दलों को उनकी मांग पर ध्यान देना पड़ा और बाद में जब एक दल की सरकार बन गई तो उसने 2005 में नए मेवात जिले के निर्माण की घोषणा कर दी।