पाठ : 4 सांँवले सपनों की याद सारांश Class 9

Sawle Sapnon ki yaad Summary Class 9

लेखक

जाबिर हुसैन

इस कहानी के लेखक जाबिर हुसैन’ हैं , जिन्होंने ‘सालिम अली’ की याद में इस कहानी को लिखा है। सालिम अली का पूरा नाम ‘डॉ सालिम मोइजुद्दीन अब्दुल अली’ था , जो एक भारतीय पक्षी विज्ञानी ,वन्यजीव संरक्षणवादी और प्रकृतिवादी थे। वह देश के पहले ऐसे पक्षी विज्ञानी थे जिन्होंने पूरे भारत में व्यवस्थित रूप से पक्षियों का सर्वेक्षण और पक्षियों के बारे में कई सारी लेख व किताबे लिखी।

लेखक , सालिम अली के शव-यात्रा का वर्णन करते हैं। वह कहते हैं कि सालिम अली को उनकी अंतिम यात्रा पर ले जाया जा रहा है , बिना किसी रुकावटों के। यह यात्रा उनकी अन्य यात्राओं से अलग है , जहां उन्हें दुखों और तनाव से मुक्ति मिल रही है। वह भी एक पक्षी के समान प्रकृति में मिल रहे हैं , जो अपना अंतिम गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बस्ता है जहां से कई प्रयास करने के बाद भी वह जिंदा नहीं हो सकता। सालिम अली ने कहा की लोग पक्षी , जंगल , पहाड़ और झरनों को प्रकृति की नजर से देखने के विपरीत आदमी के नजर से देखते है , उनके अनुसार कोई आदमी अपने कानो से पक्षियों की मधुर गीत की आवाज नही सुन सकता। वे इन बातों पर विश्वास रखते थे जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती थी।

लेखक , उस समय की बात करता है जब कृष्ण ने वृंदावन में अपनी रासलीला रची थी व किस प्रकार अपनी शरारतों से वह गोपियों को परेशान करते थे , मक्खन के भांड फोड़े थे , दूध-दही चुराकर खाते थे। किस प्रकार उनके बांसुरी के धुन से , पूरे वृंदावन का वातावरण संगीतमय हो जाता था। अगर आज कोई वृंदावन जाए तो यमुना नदी का जल कृष्ण के समय के घटना-क्रम याद दिलाता है।

आज भी ऐसा लगता है जैसे की भीड़ से भरी गलियों में से निकलकर कोई अचानक आकार बांसुरी बजाएगा और सब वहीं मुग्ध होकर धुन का आनंद लेंगे।

शाम के समय माली बताता है , ऐसा लगता है जैसे कृष्ण वहां आकर अपने बांसुरी के संगीत से पूरे वाटिका का माहौल खुशहाल कर देगा। ऐसा लगता है जैसे कृष्ण की बांसुरी का संगीत वृंदावन से कभी कहीं गया ही नहीं था। वृंदावन के इस रहस्मयी सवाल के बारे में ज्यादा न सोचकर लेखक सालिम अली के बारे में कहते हैं , जिन्हें सौ साल पूरे होने में ज्यादा समय नहीं था पर पक्का सभी यात्राओं से थककर वह काफी कमजोर और दुर्बल हो गए थे और कैंसर जैसे बड़ी बीमारी भी जीने नहीं दे रही थी। जीवन के अंतिम समय में भी सालिम अली की आंखे पक्षियों की तलाश में थी और वह पक्षियों की हिफ़ाज़त के बारे में ही सोच रहे थे।

आगे लेखक बताते है की , सालिम अली जैसा बर्ड वॉचर (पक्षियों के विषय में जानकारी रखने वाला) और कोई हो ही नहीं सकता। वह अपनी आंखों से प्रकृति को अपने घेरे में बांध लेते थे। वह प्रकृति के प्रभाव में आने के बजाय प्रकृति को अपने प्रभाव में करने वाले व्यक्ति थे। उनके लिए प्रकृति रहस्य से भरी दुनिया थी।

उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए यह दुनिया गढ़ी थी , जिसमें उनकी स्कूल की सहपाठी और जीवन-संगनी ‘तहमीना’ ने भी उनकी सहायता की थी। उन्होंने प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को केरल के प्राकृतिक खतरों के विषय में जानकारी दी , जिससे वह बहुत भावुक हो उठे। लेखक , सालिम अली और प्रधानमंत्री के ना होने पर चिंतित होते हुए कहते है की अब कौन भारत के निर्माण का संकल्प लेगा? व दुर्बल और बर्फीले स्थानों में रहने वाले पक्षियों को प्रयास करेगा?

सालिम अली ने अपनी आत्मकथा का नामफॉल ऑफ ए स्पैरो” रखा था। लेखक को ‘डी. एच. लारेंस’ के बारे में याद आता है। जिसकी मृत्यु के बाद लोगों ने उनकी पत्नी ‘फ्रीडा’ को अपने पति के बारे में लिखने को कहा। परंतु उसकी पत्नी ने मना कर दिया क्योंकि उनके लिए अपने पति के बारे में लिखना असंभव-सा था। वह कहती है उनकी जिंदगी एक खुली किताब के समान है , यहां तक कि उनके घर की छत पर रहने वाली गौरैया भी उनके बारे में उनसे अच्छे से जानती है।

बचपन में , सालिम अली की एयरगन से घायल होने वाली गौरैया ने उन्हें बर्ड वॉचर बनने के लिए प्रेरित किया और खोज के नए-नए रास्तों पर ले गई। उनका विश्वास एक पल के लिए भी नहीं भटका। वह प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त एक प्रतिबिंब के समान थे।

लेखक कहते है की सालिम अली प्रकृति के अनुभवी थे अथाह सागर के समान थे। उनके जानने वाले सभी लोगों का यही मानना था की वह अंतिम यात्रा पर नहीं बल्कि पक्षियों की नई खोज पर जा रहे है और नए रहस्य के साथ वापस लौट आएंगे। सब यही चाहते है की वह वापस लौटकर आ जाए। सब उन्हें याद कर रहे थे।

लेखक परिचय

लेखक जाबिर हुसैन’ का जन्म 5 जून 1945 में बिहार में नालंदा जिले के नौनाही राजगीर नाम के गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा करने के बाद अंग्रेजी भाषा और साहित्य के प्राध्यापक पद पर कार्य किया था। सन् 1977 में उन्हें मुंगेर से बिहार विधानसभा का सदस्य निर्वाचित किया गया और मंत्रिमंडल में स्थान मिला। सन् 1995 में विधान परिषद् के सभापति रहे। वह राज्यसभा के पूर्व सदस्य हैं।

उनकी कुछ साहित्य कथाएं हैं –

1. एक नदी रेत भरी

2. लोगो

3. अतीत के चेहरा आदि।

शब्दार्थ :-

1. आवशार – तालाब
2. मिथक – पुराने विश्वास
3. सोता – झरना
4. यायावरी – घुमक्कड़ी / घूमने वाला
5. शती – सौ साल
6. सुराग – खोज
7. परिंदे – पक्षी
8. हिफाजत – सुरक्षा
9. भ्रमणशील – घुमंतू / यात्रा करने वाला
10. हुजूम – भीड़
11. काया – शरीर
12. उत्सुक – इच्छुक / चाह करना
13. हिदायत – निर्देश
14. सैलानी – यात्री
15. कायल – मान्यता मानने वाला
16. एहसास – अनुभव
17. पलायन – भागना
18. नैसर्गिक – प्राकृतिक
19. वाटिका – बगीचा
20. सांधी माटी – मिट्टी की खुशबू
21. पसरी – फैली
22. रंगे – नसे
23. प्रतिरूप – प्रतिबिंब
24. जामा – परिधान

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