Anupras Alankar aur uske Udaharan
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा |
अनुप्रास अलंकार शब्दों के ध्वनिक समानता पर आधारित होता है, जिसमें किसी वाक्यांश में आवृत्ति वाले ध्वनि या ध्वनि ध्वनिमान शब्दों का प्रयोग बार बार किया जाता है। यह अलंकार कविता या गीत को रंगीन बनाता है।
आसान शब्दो में – |
जहाँ काव्य में एक या अनेक व्यंजन वर्णों की पास-पास तथा क्रमानुसार आवृत्ति हो, उसे ‘अनुप्रास अलंकार’ कहते है।
जैसे – आप आए खबर हरेक बाज़ार से (अपने आवाज़ की आवृत्ति में “आ” का प्रयोग किया गया है) तथा इसमें दो बार ‘आ’ स्वर की आवृत्ति का उपयोग हुआ है। |
अनुप्रास अलंकार के भेद – |
अनुप्रास अलंकार के पाँच भेद होते है:–
1. छेकानुप्रास अलंकार |
2. वृत्यानुप्रास अलंकार |
3. लाटानुप्रास अलंकार |
4. अन्त्यानुप्रास अलंकार |
5. श्रुत्यानुप्रास अलंकार |
1. छेकानुप्रास अलंकार
परिभाषा – छेकानुप्रास अलंकार वाक्य में एक ध्वनि या वर्ण के दोहराव को कहते हैं, अर्थात जहां एक या अधिक वर्णों की एक ही क्रम में एक बार आवृत्ति होती है, वहाँ छेकानुप्रास अलंकार प्रकट होता है। यह अलंकार वाक्य में ध्वनि की पुनरावृत्ति के माध्यम से ध्वनिमानता और सुंदरता पैदा करता है।
उदाहरण –
1. धूमिल धूम करती हवा चली।
2. चंदन चंदन चमक रही है।
3. कागज के कागज पर कलम चलती है।
ये उदाहरण छेकानुप्रास अलंकार को दिखाते हैं, जहां ध्वनि या वर्ण की पुनरावृत्ति के माध्यम से वाक्य में सुंदर छाप बनाई गई है।
2. वृत्यानुप्रास अलंकार
परिभाषा – वृत्यानुप्रास अलंकार वाक्य में एक या एक से अधिक वर्णों की पुनरावृत्ति को कहते हैं। यह अलंकार वाक्य में वर्णों की वृत्ति के माध्यम से सुंदरता और ध्वनिमानता पैदा करता है।
उदाहरण –
1. आ जा रे आ जा, दिल ना छुरा ले मेरा।
2. जब जब दिल मिले, तब तब यारी हो गई।
3. छोड़ दे साथ, साथी यारी भी छूट जाएगी।
ये उदाहरण वृत्यानुप्रास अलंकार को दिखाते हैं, जहां एक या एक से अधिक वर्णों की पुनरावृत्ति के माध्यम से वाक्य में सुंदर छाप बनाई गई है।
3. लाटानुप्रास अलंकार
परिभाषा – जहाँ समानार्थक शब्दों या वाक्यांशों की आवृत्ति हो परन्तु अर्थ में अन्तर हो, वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण –
“पूत सपूत, तो क्यों धन संचय ?
पूत कपूत, तो क्यों धन संचय ?
यहाँ प्रथम और द्वितीय पंक्तियों में एक ही अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग हुआ है परन्तु प्रथम और द्वितीय पंक्ति में अन्तर स्पष्ट है, अतः यहाँ लाटानुप्रास अलंकार है।
4. अन्त्यानुप्रास अलंकार
परिभाषा – जहाँ पद के अन्त के एक ही वर्ण और एक ही स्वर की आवृत्ति हो, वहाँ अन्त्यानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण –
“ जय हनुमान ज्ञान गुण सागर , जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ”।।
5. श्रुत्यानुप्रास अलंकार
परिभाषा – जहाँ एक ही उच्चारण स्थान से बोले जाने वाले वर्णों की आवृत्ति होती है, वहाँ श्रुत्यानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण –
सुनो गंगा यमुना तपती वन की कनक कमलिनी – (सुनो, गंगा, यमुना) – यहां उपयोगिता ध्वनि “न” है, जो श्रुत्यानुप्रास को दिखाती है।
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण
1. बार-बार देखो, हजारों बार देखो – (बार)
2. आओ जी, जल्दी आओ – (आओ)
3. मन मस्तमोहित, तन तरंगित, जीवन मुक्तिलालित – (म)
4. राधा धीरे-धीरे चल, नयनों में काजल लगा – (चल, च)
5. आओ भई, चलो नृत्य करें – (चलो, नृत्य)
6. आकाश गंगा, धरती गंगा, सबके मन भांगा – (गंगा)
7. राधे राधे, श्याम श्याम, गोपियों के जीवन की काम – (श्याम, राधे)
8. दिल ढूंढ़ता है, फिर वही, फ़ुर्सत के रात दिन – (दिल, वही)
9. चाँदनी चांद सी चमके, रातों की आँधियाँ जगमगाएं – (चांद)
10. मन के मंदिर में मेरे, गगन बिरहा गाए – (मंदिर, मेरे)
11. मुस्कान बनी रहो, ख़ुशी की बहार बनी रहो – (बनी)
12. तेरे खयालों में दीवानी, तेरे बिना धड़कन रूकी – (तेरे)
13. आँखों में छाँव चांदनी, मन में प्यार की कहानी – (छाँव, चांदनी)
14. सुनी सुनी राहों पर, मन के तारे चमके – (सुनी)
15. जीवन के हर रंग में तेरी आवाज गुंजे – (रंग)
16. चल रे मन के शोर मचा, ध्वनि से घटा बचा – (शोर, घटा)
17. रात की तलवार है आंधियाँ, दिन की रोशनी है चाँदनी – (आंधियाँ, चाँदनी)
18. जिंदगी के सफर में राही, खोये हुए सपने मिले – (राही)
19. सावन की बूंदों में रंगी है जिंदगी, धुप के साए में रौशनी – (बूंदों, साए)
20. जीवन के संगीत में तू, सुरों की उड़ान है तू – (संगीत, सुरों)
21. रंग रंग के फूल खिलाये, बहारों के संग संग सजाये।
22. जीने की राह, राही बनकर चल।
23. मस्ती की हवा चली, हँसी ख़ुशी चाली।
24. ढोलक की धुन धुन ढोलक बजी।
25. भूखी कभी नहीं जाती, जब तक भूख बुझ न जाए।
26. धीरे धीरे ज़िंदगी में आना, धीरे धीरे दिल को बहलाना।
27. बारिश की बूँदों में रंगी हुई ये धरती।
28. तू छलक छलक रे, सावन भी आए रे।
29. मौन की मौनता में मैं सोचता हूँ।
30. चलती चलती रह गई राहों में उलझन।
31. सब यादें सब बातें सुर्मई साँवली रातें।
32. नौ नौ रातें चांद खिलाएं रंगीन चांदनी।
33. सपनों की सपना रातों में घुलती है।
34. ख्वाबों की ख्वाबा रात भर संग जाए।
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