खनिज तथा ऊर्जा संसाधन प्रश्न और उत्तर Class 10

Khanij Aur Urja Sansadhan Questions and Answers Class 10

प्रश्न 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न:

i) निम्नलिखित में से कौन सा खनिज अपयक्षित पदार्थ के अवशिष्ट भार को त्याग ता हुआ चट्टानों के अपघटन से बनता है?
i) कोयला
ii) बॉक्साइट
iii) सोना
iv) जस्ता

उत्तर. बॉक्साइट।

ii) झारखंड में स्थित कोडरमा निम्नलिखित में से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?

i) बॉक्साइट
ii) अभ्रक
iii) लौह अयस्क
iv) तांबा

उत्तर. अभ्रक।

iii). निम्नलिखित चट्टानों में से किस चट्टान के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचयन होता है?

i) तलझटी चट्टाने
ii) कायांतरित चट्टाने
iii) आग्नेय चट्टाने
iv) इनमें से कोई नहीं

उत्तर. तलछटी चट्टाने

iv) मोनाजाइट रेत में निम्नलिखित में से कौन सा खनिज पाया जाता है?

i) खनिज तेल
ii) यूरेनियम
iii) थोरियम
iv) कोयला

उत्तर. थोरियम

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में दीजिए।

i) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 80 शब्दों में दीजिए।

क) लोह और अलौह खनिज।

उत्तर. लौह खनिज धात्विक खनिजों के कुल उत्पादक मूल्य के तीन चौथाई भाग को योगदान करते हैं। यह धातु उद्योगों के विकास को मजबूत आधार प्रदान करते हैं। एवं भारत अपने घरेलू मांग को पूरा करने के पश्चात बड़ी से बड़ी मात्रा में धात्विक खनिजों का निर्यात करता है।

अलोह खनिजों की संचित राशि और उत्पादन ज्यादा संतोषजनक नहीं है।अलौह खनिज में तांबा, बॉक्साइट, शीशा और सोना आते हैं। धातु शोधन, इंजीनियरिंग और विद्युत उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ख) परंपरागत तथा गैर परंपरागत ऊर्जा साधन।

उत्तर. परंपरागत ऊर्जा जीवाश्म इंधन है। यह देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का महत्वपूर्ण भाग प्रदान करता है। कोयला और पेट्रोलियम परंपरागत संसाधन है। इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन तथा उद्योगों और घरेलू जरूरतों के लिए किया जाता है।गैर परंपरागत ऊर्जा के लगातार बढ़ते उपयोग ने देश को कोयला तेल और गैस जैसे जीवाश्मी ईंधनो पर अत्यधिक निर्भर कर दिया है। गैस तथा तेल की बढ़ती हुई कीमतों तथा इनकी संभाव्य कमी ने भविष्य में उर्जा की सुरक्षा के प्रति उत्पन्न कर दी हैं। इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। अतः इन स्थितियों से निपटने के लिए नवीकरण योग्य ऊर्जा संसाधन जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैविक ऊर्जा तथा अवशिष्ट पदार्थ जनित ऊर्जा के उपयोग की बहुत जरूरत है।यह सभी ऊर्जा गैर परंपरागत साधन कहलाते हैं।

ii) खनिज क्या है?

उत्तर. खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान स्वरूप तत्व है।खनिज प्रकृति में अनेक रूपों में पाए जाते हैं।जिसमें कठोर हीरा व नरम चूना तक सम्मिलित है। चट्टाने खनिजों के स्वरूप तत्वों के योगिक हैं। कुछ चट्टाने केवल एक ही खनिज से बनी होती हैं।जैसे चूना पत्थर- लेकिन अधिकतर चट्टाने विभिन्न अनुपातों के अनेक खनिजों का योग्य है।खनिज हमारे जीवन का बेहद अनिवार्य भाग है। ज्यादातर हर चीज जिसे हम इस्तेमाल करते हैं वह खनिज कहलाते हैं। जैसे सुई से लेकर एक बड़ी इमारत तक या फिर एक बड़ा जहाज आदि-सभी खनिजों से बने होते हैं। रेलवे लाइन तथा सड़क के पत्थर हमारे औजार तथा मशीनें सभी खनिजों से बने हैं। कारे ,बसें , रेल गाड़ियां हवाई जहाज सभी खनिजों से निर्मित है। यहां तक कि भोजन में भी खनिज होते हैं। मानव जीवन के विकास की सभी अवस्थाओं में अपनी जीविका और सजावट त्यौहार एवं धार्मिक अनुष्ठान के लिए खनिजों का प्रयोग किया जाता है। खनिजों के बिना जीवन प्रक्रिया नहीं चल सकती।

iii) आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है?

उत्तर.खनिजों के खनन की सुविधा इनके निर्माण एवं संरचना पर निर्भर होती है।खनन सुविधा इसके मूल्य को निर्धारित करती है। अतः हमारे लिए मुख्य शैल समूह को समझना अत्यंत आवश्यक है। जिसमें यह खनिज पाए जाते हैं-आगनेय एवं कायांतरित यह दोनों खनिज- दरारों, जोड़ों, तथा विदारों में मिलते हैं।यह चट्टाने छोटे जमाव से शिकारियों के रूप में और वृहद जमाव परत के रूप में पाए जाते हैं। तथा इनका निर्माण भी अधिकतर उस समय होता है।जब यह तरल अथवा गैसीय अवस्था में दरारों के सहारे धकेले जाते हैं। यह ऊपर आते हुए ठंडे होकर जम जाते हैं ,और जस्ता, तांबा, जिंक, शीशा आदि जैसे मुख्य धात्विक खनिज इसी तरह शिकारियों एवं जवानों के रूप में प्राप्त होते हैं।

iv) हमें खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता क्यो है?

उत्तर. हमें खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि हम सभी को उद्योग तथा कृषि की खनिज निक्षेपो तथा उनसे विनिर्मित पदार्थों पर भारी निर्भरता सुरक्षित है। खनिज संसाधनों के निर्माण एवं सांद्रण में लाखों वर्ष लगे हैं, हम उनका शीघ्रता से उपयोग कर रहे हैं। इसलिए खनिज संसाधन सीमित तथा अनवीकरण योग्य है। समृद्ध खनिज निक्षेप हमारे देश की अत्यधिक मूल्यवान संपत्ति है। लेकिन यह अल्पजीवी है अशकों के सतत उत्खनन से लागत बढ़ती जाती है। क्योंकि खनिजों के उत्खनन की गहराई बढ़ने के साथ उनकी गुणवत्ता घटती जाती है। खनिज संसाधनों को सुनियोजित और सतत पोषणीय ढंग से प्रयोग करने के लिए एक तालमेल युक्त प्रयत्न करना होगा। वरना अगर हम वर्तमान दर में इसी तरह खनिजों का प्रयोग करते रहे तो यह समाप्त हो जाएगा एवं अनेक प्रकार की समस्या पैदा हो सकती है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए-
i) भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए।

उत्तर.कोयले का निर्माण पादप पदार्थों के लाखों वर्षों तक संपीडन से हुआ है। इसलिए संपीडन की मात्रा गहराई तथा दबने के समय के आधार पर कोयला अनेक रूपों में पाया जाता है।दलदल में धातुशोधन में उच्च श्रेणी के विटुमिंस कोयले का प्रयोग किया जाता है।विटुमिंस कोयले का लोहे के प्रगलन में विशेष महत्व है। भारत में कोयला दो प्रमुख युगों के शैल क्रम में पाया जाता है। एक गोंडवाना जिसकी आयु 200 लाख वर्ष से कुछ अधिक आंकी हुई है। और दूसरा टरशियरी निक्षेप जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराना माना गया है। गोंडवाना कोयले जो धातुशोधन कोयला है, इसके प्रमुख संसाधन दामोदर, घाटी, झरिया, रानीगंज, बेकारों में स्थित है। जो महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं। कोयला एक स्थूल पदार्थ है। जिसका प्रयोग करने पर भार घटता है, क्योंकि यह राख में परिवर्तित हो जाता है।

ii) भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है। क्यों?

उत्तर.भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल होने का प्रमुख कारण है कि यह एक उष्ण कटिबंधीय देश है। भारत के ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से लोकप्रिय हो रही है। भारत का सबसे बड़ा और सौर ऊर्जा संयंत्र भुज के निकट माधोपुर में स्थित है। सौर ऊर्जा से दूध के बड़े बर्तनों को कीटाणु मुक्त किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सौर ऊर्जा के प्रयोग से ग्रामीण घरों में उपलो तथा लकड़ी पर निर्भरता को न्यूनतम किया जा सकेगा। यह परिणाम संरक्षण में योगदान देगा,और कृषि में भी खाद्य की पर्याप्त आपूर्ति होगी। इसी प्रकार भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल होता है।

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