पाठ : 9 सवैये प्रश्न उत्तर Class 9

NCERT Solutions for Class 9 Hindi (Kshitij) Chapter 9 “Sawai.” Dive into comprehensive questions and answers.

NCERT Solutions for Class 9 Hindi (Kshitij) Chapter – 9 Sawai Question and Answers

कवि

रसखान (1548-1628)

कवि परिचय

कवि परिचय – रसखान का जन्म सन् 1548 में हुआ माना जाता है। उनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था और वे दिल्ली के आस-पास के रहने वाले थे। सन् 1628 के लगभग उनकी मृत्यु हुई। सुजान रसखान और प्रेमवाटिका उनकी उपलब्ध कृतियाँ हैं। रसखान रचनावली के नाम से उनकी रचनाओं का संग्रह मिलता है। उनके काव्य में कृष्ण की रूप-माधुरी , ब्रज-महिमा , राधा-कृष्ण की प्रेम-लीलाओं का मनोहर वर्णन मिलता है।

Question: 1 ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?

Answer:

कवि रसखान श्री कृष्ण से बहुत प्रेम करते है। वह प्रत्येक परिस्थिति में ब्रजभूमि के आसपास ही रहना चाहते है। उनका ब्रजभूमि के प्रति प्रेम निम्नलिखित रूपों में प्रकट हुआ है।

(1) मनुष्य बनने पर गोकुल के गवालों के साथ रहना चाहते है।

(2) पशु बनने पर वे नंद की गाय बनना चाहते हैं।

(3) पत्थर बनने पर वे गोवर्धन पर्वत का एक अंग बनना चाहते हैं।

(4) पक्षी बनने पर कालिंदी नदी के किनारे कदंब के पेड़ की शाखाओं पर बसेरा करना चाहते हैं।

Question: 2 कवि का ब्रज के वन , बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण है?

Answer :

कवि का ब्रज के वन , बाग और तालाब को निहारने के पीछे यह कारण है , कि कवि श्री कृष्ण से जुड़ी हर वस्तु से अत्यधिक प्रेम करते हैं। ब्रज के वन , बाग और तालाब में श्री कृष्ण ने अनेक प्रकार के खेल किए हैं इसलिए कवि उन्हें निरंतर निहारना चाहते हैं , क्योंकि उन्हें देखकर कवि को अनुपम सुख की अनुभूति होती है।

Question: 3 एक लकुटी और कमरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?

Answer :

कवि के लिए श्री कृष्ण की हर एक चीज महत्वपूर्ण और प्रिय है। श्री कृष्ण गायों को चराते समय एक लकुटी और कमरिया (कमर पर ओढ़न वाला वस्त्र ) हमेशा अपने साथ रखते थे। इसलिए यह वस्तुएं कवि के लिए कोई साधारण वस्तुएं नहीं है। वह श्री कृष्ण से अत्यधिक प्रेम करते हैं। यही कारण है , कि कृष्ण की लाठी और कंबल के लिए कवि अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार है। कवि के लिए इन वस्तुओं के सामने तीनों लोकों के राज्य का सुख भी गौण है।

Question: 4 सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया है? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

Answer :

सखी गोपी से कृष्ण का मनमोहक रूप धारण करने का आग्रह करती है वह गोपी से आग्रह करते हुए कहती है , कि कृष्ण के समान सिर पर मोर पंख का मुकुट धारण करें , गले में गुंज की माला पहने , तन पर पीला वस्त्र पहने , हाथों में लाठी थामे ,वन में गायों को चराने जाए , किंतु बासुरी कदापि न धारण करें।

Question: 5 अपने विचार से कवि पशु पक्षी पहाड़ के रूप में कृष्ण भक्ति का सानिध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?

Answer :

कवि श्री कृष्ण से अत्यधिक प्रेम करता हैं , इसलिए हमारे विचार से वह श्री कृष्ण का सानिध्य प्राप्त करने के लिए पशु पक्षी और पत्थर बनाने में भी संकोच नहीं करता , वह वातावरण के प्रत्येक उस रूप में रहना चाहता हैं जिसका संबंध श्री कृष्ण से हो।

Question: 6 चौथे सवैये के अनुसार गोपिया अपने आपको क्यों विवश पाती हैं?

Answer :

कृष्ण की मुरली की मधुर तान सुनते ही गोपियां उस ओर आकर्षित हो जाती हैं। वे श्री कृष्ण की मधुर मुस्कान के सामने अपने आप को संभाल नहीं पाती। वह अपने आप को विवश पाती हैं , इसलिए लोक मर्यादा त्याग कर वे श्रीकृष्ण की ओर खिंची चली जाती है।

Question: 7 भाव स्पष्ट कीजिए –

(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।

(ख) माई री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै , न जैहै , न जैहै।

Answer :

(क) रसखान कवि ब्रजभूमि से गहरा लगाव रखते हैं। इसलिए वह वहां कांटेदार करील की झाड़ियों के लिए करोड़ों महलों के सुखों का त्याग करने के लिए भी तैयार हैं। अर्थात कवि श्री कृष्ण के समीप ब्रज में रहने के लिए अपने सारे सुखों का त्याग करने को तैयार हैं।

(ख) श्री कृष्ण के मुख पर मोहक मुस्कान को देखकर गोपियां सब कुछ भूल जाती है। लोक लाज का भी उनके मन में भय नहीं रहता और सब कुछ भूल कर वे कृष्ण की तरफ खींची चली जाती है।

Question: 8 ‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है?

Answer :

‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार है।

Question: 9 काव्य–सौंदर्य स्पष्ट कीजिए–

या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।

Answer :

भाव सौंदर्य – गोपी अपनी सखी के कहने पर कृष्ण के समान वस्त्राभूषण तो धारण कर लेगीं परन्तु कृष्ण की मुरली को अधरों पर नहीं रखेगी। उसके अनुसार उसे यह मुरली सौत की तरह प्रतीत होती है। अत: वह सौत रूपी मुरली को अपने होठों से नहीं लगाना चाहती है।

शिल्प सौंदर्य – काव्य में व्रज भाषा तथा सवैया छनन् द का सुन्दर प्रयोग हुआ है। ‘ल’ और ‘म’वर्ण की आवृत्ति होने के कारण यहाँ पर अनुप्रास अलंकार है। यमक अलंकार का सटीक प्रयोग है।

रचना और अभिव्यक्ति

Question: 10 प्रस्तुत शब्दों में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।

Answer :

हमे अपनी मातृभूमि से अत्यधिक प्यार है। हम इसकी धूल में खेलकर बड़े हुए हैं और इस मातृभूमि का अन्न जल पीकर बड़े हुए हैं। अतः: हमारा भी फर्ज बनता है कि हम अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करे और इसका कर्ज अदा करें। इसलिए जब भी मौका मिलेगा तब-तब हम अपनी मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व त्याग देने के लिए तैयार रहुंगा। मैं ऐसा कोई कार्य नहीं करूँगा जिससे हमारे मातृभूमि का सिर नीचा हो। जहाँ तक संभव होगा मैं अपनी मातृभूमि के उत्थान के लिए हमेशा प्रयास करूँगा।

रसखान के इन सवैयों का शिक्षक की सहायता से कक्षा में आदर्श वाचन कीजिए। साथ ही किन्हीं दो सवैयों का कंठस्थ कीजिए।

Answer :

छात्र स्वयं करें।

पाठेतर सक्रियता

सूरदास द्वारा रचित कृष्ण के रूप सौंदर्य संबंधि पदों को पढ़िए।

Answer :

छात्र स्वयं ही सूरदास द्वारा रचित कृष्ण के रूप-सौंदर्य संबंधी पदों को पढ़े ।

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